हालांकि हम हर व्यक्ति के मरने पर उसके नाम के साथ स्वर्गीय शब्द जोड़ देते हैं, भले ही हमें यह पता भी न हो कि वह स्वर्ग में गया या नरक में। वैसे भी हमारे यहां परंपरा है कि यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में बुरा रहा हो, तो भी उसके मरने पर हम उसकी बुराई नहीं करते। यही कहते हैं कि भला आदमी था। उसके नाम के साथ स्वर्गीय शब्द जोड़ कर यही जताते हैं कि वह स्वर्ग में ही गया होगा और सम्मान देते हैं। इसके अतिरिक्त यह भी अवधारणा है कि मृतात्मा अगला जन्म लेती है। कुछ लोग मानते हैं कि मनुष्य मरने के बाद फिर मनुष्य योनि में ही जन्म लेता है। ऐसा मानने वाले पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका अगले जन्म में फिर मिलने की कामना करते हैं। कई तो अगले सात जन्म तक भी साथ होने की इच्छा जताते हैं। अब ये सात जन्म ही क्यों, छह या आठ क्यों नहीं, कुछ पता नहीं। दूसरी ओर कुछ लोगों की मान्यता है कि मनुष्य अपने कर्म के अनुसार किसी अन्य योनि में जन्म लेता है। एक जिज्ञासा ये हो सकती है कि मृतात्मा ने अगले जन्म में किस योनि में जन्म लिया है, क्या इसके बारे में ठीक-ठीक जानकारी मिल सकती है? ज्योतिष शास्त्र अथवा अन्य शास्त्रों में संभव है कि उसका वर्णन हो या कोई पद्दति हो। ज्योतिषी कुंडली देख कर यह तक बता देते हैं कि यह आपका आखिरी जन्म है, इसके बाद जन्म-मरण के चक्कर से मुक्ति मिल जाएगी।
खैर, एक पद्दति मेरी जानकारी में भी है, वह आपसे साझा करता हूं। जब किसी की मृत्यु शाम को होती है, और जैसा कि हमारे यहां परंपरा है कि सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार नहीं किया करते, इस कारण उसे रात भर रखना होता है। उसके पास एक दीपक जलाया जाता है। बताया जाता है कि ऐसा इस कारण किया जाता है ताकि वातावरण में विचरण कर रही कोई बुरी आत्मा उसमें प्रवेश न कर जाए। खैर, जानकारी ये है कि जो दीपक पूरी रात जलता है, उसके नीचे तेल से एक आकृति बन जाती है, जो कि किसी मनुष्य, जीव-जन्तु आदि की हो सकती है। जो भी आकृति बनती है, माना जाता है कि मृतात्मा उसी योनि की ओर प्रस्थान करेगी। यह पद्दति कितनी सही है, पता नहीं, मगर चलन में है जरूर। हमारे परिवार में किन्हीं पूर्वज के बारे में बताया जाता है कि दीपक के नीचे भ्रमर का चिन्ह बन गया था, इस कारण जब भी कोई भ्रमर घर में आ जाता है तो यही मानते हैं कि अमुक पूर्वज पधारे हैं और उन्हें पानी की छींटा दे कर शांत किया जाता है। ऐसा करने पर वे चले जाते हैं।
निवेदन
आपसे निवेदन है कि यदि आप कोई प्रतिक्रिया देना चाहते हैं तो आलेख के नीचे कमेंट बॉक्स में अपना कमेंट लिखिए, ताकि पाठक आपकी जानकारी से भी भिज्ञ हो सकें।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com
खैर, एक पद्दति मेरी जानकारी में भी है, वह आपसे साझा करता हूं। जब किसी की मृत्यु शाम को होती है, और जैसा कि हमारे यहां परंपरा है कि सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार नहीं किया करते, इस कारण उसे रात भर रखना होता है। उसके पास एक दीपक जलाया जाता है। बताया जाता है कि ऐसा इस कारण किया जाता है ताकि वातावरण में विचरण कर रही कोई बुरी आत्मा उसमें प्रवेश न कर जाए। खैर, जानकारी ये है कि जो दीपक पूरी रात जलता है, उसके नीचे तेल से एक आकृति बन जाती है, जो कि किसी मनुष्य, जीव-जन्तु आदि की हो सकती है। जो भी आकृति बनती है, माना जाता है कि मृतात्मा उसी योनि की ओर प्रस्थान करेगी। यह पद्दति कितनी सही है, पता नहीं, मगर चलन में है जरूर। हमारे परिवार में किन्हीं पूर्वज के बारे में बताया जाता है कि दीपक के नीचे भ्रमर का चिन्ह बन गया था, इस कारण जब भी कोई भ्रमर घर में आ जाता है तो यही मानते हैं कि अमुक पूर्वज पधारे हैं और उन्हें पानी की छींटा दे कर शांत किया जाता है। ऐसा करने पर वे चले जाते हैं।
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-तेजवानी गिरधर
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हिन्दू शास्त्र के मुताबिक यह सभी बातें सत्य तो हैं।मगर मृत्यु के बाद क्या होता है या क्यूँ होता है यह सटीक नहीं कहा जा सकता है शायद इसी लिया अब तक कि जानकारी के तहत किसीने भी इसका खुलासा कर नहीं पाए। बेद या उपनिषद में कई आलेख हें जीवन मृत्यु के पश्चात पूर्ब। जीवन भर में कृत कई कर्म उसके दुष्कर्म और मृत्यु पूर्ब की कुछ घटना से भी पता चला है लोग यही कहते फलाना ने जीवन मे कई ऐसे कर्म किये जिसकी सज़ा उसे इसी जन्म में मिल रही।या के देव उपशना ,कुछ भले कर्म के कारण उसे अच्छे फल मिल रहे। आत्मिक संतुष्टि के तगत इंशान बहुत कुछ पूर्ब अनुमान से किसी निर्णय पर पहुंच जाता है। जीवन के साथ जिसने जितने अच्छे कर्म किये वही उसी के साथ रहते हैं अंत तक। जो पस्तत जीवन के अनुमान सोच कर हानि लाभ तय नही किया जा सकता है। ज्ञान अज्ञान भी जीवन के अंत तक साथ रहते।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
मीनाक्षी बेदबाक
आपने अच्छी जानकरी दी है
हटाएंसच बतांऊ तो सनातन धर्म को लोग ढ़ोंग बताते थे, शायद अब भी बतातें हो, मगर अब ये धीरे-धीरे सिद्ध होता जा रहा है कि सनातन की हर परम्परा यथार्थ के साथ वैज्ञानिक दृष्ठिकोण भी देती है। सनातन आज सिद्ध होता जा रहा है इस संसार में और लोग सच की खोज के लिए केवल भारत ही क्यों आते है। क्यों हमारी सबसे प्राचीन सभ्य सभ्यता रही है।
जवाब देंहटाएंक्यों भारत को विश्व गुरू कहा गया।
गिरधर सर बहुत खुब लिखते है आप। बहुत शुभकामनाएं।
जी, हमारे परिवार में भी यही मान्यता है दीपक रेत पर रखते हैं,रेत पर चिह्न बन जाते हैं जो भी योनि मिलेगी - Kamla Goklani
जवाब देंहटाएंIf you're trying to lose fat then you certainly need to start using this brand new personalized keto meal plan diet.
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राजस्थान के मेवाड़ अंचल में भी कुछ इस तरह की मान्यता प्रचलित है कि मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार अगर सूर्यास्त से पूर्व नहीं किया जा रहा है तो उसका पार्थिव शरीर जिस कमरे में रखा जाता है वहां मृत शरीर के बगल में एक दीपक प्रज्वलित कर समीप एक थाली में आटा समतल रुप से भर कर कपड़े से ढक दिया जाता है और सवेरे सूर्योदय के बाद थाली पर से कपड़े को हटा कर परीक्षण किया जाता तो थाली में स्थित आटे कोई आकृति बनी नजर आती है उसके आधार पर कहा जाता है कि मृतात्मा शरीर छोड़ने के बाद किस योनि में गयी है अर्थात उसका पुनर्जन्म किस योनि में हुआ होगा ।
जवाब देंहटाएंb l samra