पिछले दिनों हुई कुछ वारदातों के बाद यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि क्या राज्य में तीसरा मोर्चा खडा हो जाएगा? क्या गैर कांग्रेसी व गैर भाजपाई क्षत्रप एकजुट हो जाएंगे? अब तक अनुभव का देखते हुए तो यही कहा जा सकता है कि इसकी संभावना कम है। और अगर वे आगामी चुनाव में प्रभावषाली स्थिति में रहते हैं तो उसका नुकसान कांग्रेस को ही होगा। क्योंकि भाजपा का वोट आमतौर पर इधर उधर नहीं होता।
बुधवार, 1 अक्टूबर 2025
तेज तर्रार नेताओं का बोलबाला
बुधवार, 30 जुलाई 2025
जगदीप धनखड अजमेर में एक चूक की वजह से हार गए थे
प्रसंगवश बता दें कि उनकी राजनीतिक यात्रा 1989 में झुंझुनूं से जनता दल सांसद के रूप में हुई थी। पहली बार में ही वी पी सिंह सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री बनाए गए। 1991 में जनता दल छोड़ कर कांग्रेस की सदस्यता ले ली। अजमेर से लोकसभा चुनाव लडा। उसके बाद 1993 में अजमेर जिले की किशनगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस टिकट पर लड़ कर विजयी हुए। 1998 में झुंझुनू से कांग्रेस टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, मगर तीसरे स्थान पर रहे थे। 2003 में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने पर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। कुछ समय तक सुर्खी से गायब रहे, मगर लोग तब चौंके जब उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया। उसके बाद वे उप-राष्ट्रपति पद पर आसीन हुए। हाल ही उन्होंने अचानक इस्तीफा दिया तो सब भौंचक्क हैं।
मंगलवार, 29 जुलाई 2025
सिंधी समाज के पर्व गोगडो का क्या महत्व है?
सिंधी समाज के पर्व गोगोड़ो का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह पर्व खासकर सावन महीने में नाग पंचमी को मनाया जाता है, और इसे गोगा देवता या गोगा जी की पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से सांपों से रक्षा और सर्पदंश से सुरक्षा की कामना से जुड़ा होता है।
गोगा जी जिन्हें गोगा वीर, गोगा चोबदार, या जाहरवीर गोगा भी कहा जाता है, को सर्पों के देवता के रूप में पूजा जाता है। सिंधी समाज में मान्यता है कि वे नागों पर नियंत्रण रखते हैं और अपने भक्तों को सर्पदंश से बचाते हैं।
इस दिन गोगड़ो की कथा सुनाई जाती है। स्त्रियां और बच्चे मिलकर गोगा जी के गीत गाते हैं और मिट्टी की मूर्ति बनाकर पूजा करते हैं। यह पर्व सिंधी संस्कृति की उस जीवंत परंपरा को दर्शाता है जो सिंध से जुड़ी हुई है और प्रवासी सिंधियों में अब भी जीवित है। गोगडो यह सिखाता है कि जीव-जंतुओं के साथ मेलजोल बनाकर कैसे जीवन जिया जाए।
बहुत समय पहले की बात है, गोगा जी एक शक्तिशाली और पराक्रमी राजा थे। उनकी माता ने सर्पों की आराधना कर उन्हें प्राप्त किया था। जन्म के समय से ही गोगा जी के पास सर्पों पर नियंत्रण की शक्ति थी। वे जहां भी जाते, सांप उनकी आज्ञा का पालन करते। गोगा जी ने जीवन भर न्याय, धर्म और सेवा का मार्ग अपनाया और सर्पदंश से पीड़ित लोगों को बचाया। उन्होंने कई जगहों पर नागों का आतंक समाप्त किया और लोगों की रक्षा की। इसलिए लोग उन्हें सांपों के स्वामी कह कर पूजते हैं।
इस दिन सिंधी परिवारों में गुड़ या शक्कर डाल कर मीठी रोटी बनाई जाती है। इसे प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है और बाद में परिवार में बांटा जाता है। गोगड़ो के दिन चूल्हा नहीं जलाया जाता। एक दिन पहले बनाया गया ठंडा भोजन किया जाता है। इस दिन को नंढी थदडी कहा जाता है।
शनिवार, 26 जुलाई 2025
ज्योति मिर्धा व रिछपाल मिर्धा अब क्या करेंगे?
ज्योति मिर्धा ने जताई धनखड के प्रति गहरी संवेदना
एक युग का विराम: श्रद्धा, सम्मान और स्मृति में
भारत के यशस्वी उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनकड़ जी के इस्तीफे की खबर केवल एक संवैधानिक पद से विदाई नहीं, बल्कि एक ऐसे युग का विराम है जिसने संवैधानिक गरिमा, जनसरोकारों और किसान चेतना को एक नई ऊंचाई दी।
एक किसान पुत्र, जननायक और न्यायप्रिय विचारक के रूप में उन्होंने जो भूमिका निभाई, वह इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगी। उनकी आवाज संसद में उन करोड़ों किसानों की पीड़ा और आशाओं की अनुगूंज थी, जो अक्सर नीति-निर्माण की परिधि से बाहर रह जाते हैं।
उन्होंने न केवल स्वर्गीय ‘बाबा’ के विचारों को सम्मान दिया, बल्कि उन्हें अपने सार्वजनिक जीवन में जिया भी। अनेक अवसरों पर जब उन्होंने स्व. नाथूराम जी मिर्धा को अपना प्रेरणास्रोत कहा, वह मेरे लिए गर्व और भावनात्मक जुड़ाव का विषय रहा।
धनखड़ साहब ने उपराष्ट्रपति जैसे गरिमामयी पद की मर्यादा को केवल निभाया नहीं, उसमें संवेदनशीलता, निष्ठा और दृढ़ता का एक विलक्षण समावेश किया।
उनकी दृष्टि में संविधान था, हृदय में भारत की जनता और संवाद में सादगी व स्पष्टता।
आज जब वे उस पद से विदा ले रहे हैं, तो मन एक विशेष शून्यता का अनुभव करता है, पर साथ ही उनके विचार, उनकी संघर्षशीलता और उनकी सेवाभावना सदैव हमारे मार्गदर्शक रहेंगे।
कोटिशः नमन और भावपूर्ण शुभकामनाएं
एक सच्चे किसान-नेता को, एक साहसी विचारक को, और एक आत्मीय मार्गदर्शक को।
शुक्रवार, 25 जुलाई 2025
कुत्ते कार की छत पर क्यों बैठते हैं?
वस्तुतः कुत्ते स्वभाव से क्षेत्रीय जानवर होते हैं। जब वे ऊंचाई, जैसे कार या मिट्टी का टीले पर बैठते हैं, तो उन्हें आसपास के इलाके पर नजर रखने में आसानी होती है। यह उनके लिए सुरक्षा और नियंत्रण की भावना देता है। कुत्ते अपने शरीर की गंध से इलाके को चिन्हित करते हैं। वे किसी जगह पर बैठकर उस पर अपनी गंध छोड़ते हैं ताकि अन्य जानवरों को संकेत मिल सके कि यह उनका इलाका है। कभी-कभी ऊंचाई पर बैठना अन्य जानवरों को संदेश देता है कि यह कुत्ता मुखिया या बॉस है। यह प्राकृतिक पशु-मनःस्थिति का हिस्सा है। इसके अतिरिक्त ऊंचाई पर बैठकर कुत्ता आने-जाने वालों, आवाजों या संभावित खतरों पर नजर रख सकता है।
इसी सिलसिले में एक कहावत आपने सुनी होगी- अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है। वो इसलिए कि वह खुद को अपनी गली का राजा मानता है। किसी भी अन्य कुत्ते, सूअर, बिल्ली आदि को वह प्रवेश नहीं करने देता। आसन की महत्ता हम इंसान तो जानते ही हैं, एक कुत्ता तक इसका महत्व जानता है। वह गली में निर्माणाधीन मकान के पास डाले गए बजरी के ढ़ेर पर चढ़ कर बैठता है, और यह अहसास करता है मानो किसी सिंहासन पर बैठा हो।
फोटो-जाने माने बुद्धिजीवी श्री अनिल जैन की फेसबुक वाल से साभार।
रविवार, 15 जून 2025
ईमान की मिसाल थे मेरे पिताश्री
तेज तर्रार नेताओं का बोलबाला
इन दिनों राज्य में तेज तर्रार नेता खूब चर्चा में हैं। पुलिस से टकराव की एक के एक बाद घटनाएं हो रही हैं। चूंकि सोषल मीडिया का जमाना है, इस का...

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ये सुनी-सुनाई बात नहीं। आंखों देखी है। काली माता की एक मूर्ति ढ़ाई प्याला शराब पीती है। यह नागौर जिले में मुख्यालय से 105 किलोमीटर दूर, रिया...
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अजमेर। आम आदमी पार्टी की संभाग प्रभारी श्रीमती कीर्ति पाठक को आखिर अजमेर उत्तर के लिए ढ़ंग का प्रत्याशी मिल ही गया। हालांकि यह अभी दू...