बुधवार, 20 नवंबर 2024
लोकप्रिय नेता कौन?
रविवार, 17 नवंबर 2024
नेता व अफसरों के बीच गहरा अंतर्संबंध
मंगलवार, 5 नवंबर 2024
शरीर के सर्वांग विकास के लिए षट् रस जरूरी
यूं तो अनेक समुदायों व समाजों में शट्रस युक्त भोजन का चलन है, मगर गुजराती थाली व जैन थाली की विषेश चर्चा होती है।
गुजराती थाली में सभी रसों का अद्भुत समावेश होता है। यह थाली बहुत ही विविधतापूर्ण होती है, जिसमें आमतौर पर दाल, कढ़ी, सब्जियां, रोटली (रोटी), भात (चावल) और मीठा होता है। गुजराती खाने में मिठास का विशेष महत्व होता है, इसलिए कई व्यंजन हल्की मिठास लिए होते हैं। साथ ही, इसमें तली हुई चीजें, जैसे फाफड़ा, ढोकला, पापड़ भी शामिल होते हैं, जो अन्य रसों का संतुलन बनाए रखते हैं। खट्टे और मीठे का बेहतरीन मिश्रण गुजराती भोजन को अनोखा बनाता है।
जैन थाली में भी शट् रस का संतुलन देखने को मिलता है, लेकिन इसकी खासियत यह है कि इसमें प्याज, लहसुन और किसी भी प्रकार की जड़ वाली सब्जियों का प्रयोग नहीं होता है। यह थाली सादगी और शुद्धता के लिए प्रसिद्ध है, फिर भी स्वाद से भरपूर होती है। जैन भोजन में सादा और हल्का खाना होता है, जिसमें अनाज, सब्जियाँ, और दालों का संयोजन होता है।
दोनों थालियों में शट् रस का महत्व बहुत अधिक होता है और ये भोजन का एक ऐसा रूप प्रस्तुत करती हैं, जिसमें न केवल स्वाद का ध्यान रखा जाता है, बल्कि सेहत का भी।
मंगलवार, 15 अक्तूबर 2024
राजनेता बडा या अफसर?
एक अधिकारी से गुफ्तगू की तो वे बोले असल में सरकार तो अधिकारी और उसके नीचे का तंत्र चलाता है। राजनेता को तो कानून और नियमों की जानकारी तक नहीं होती। वह तो केवल मौखिक आदेश देता है, उनकी अनुपालना नियमों के अंतर्गत किसी प्रकार की जाए, यह रास्ता तो अधिकारी ही निकालता है। वैसे भी यदि नियम के खिलाफ कुछ हो जाए तो राजनेता का कुछ नहीं बिगड़ता, क्यों कि वह तो केवल जुबानी जमा-खर्च करता है, जबकि रिकार्ड के मुताबिक फंदा तो अधिकारी और कर्मचारी के गले में ही पड़ता है। अगर प्रशासनिक तंत्र प्रभावी न हो तो राजनेता जो मन में आए, वही करे और इसके नतीजे में अराजकता ही हाथ आ सकती है। कुल मिला कर अधिकारी नकेल का काम करता है और उसी की वजह से सिस्टम चलता है। इस लिहाज से अधिकारी ही बड़ा और जिम्मेदार माना जाना चाहिए, मगर बावजूद इसके उसे दब कर चलना पड़ता है। इस वजह से, क्यों कि राजनेता चाहे जब उसे उठा कर दूर फिंकवा सकता है।
अपुन ने एक राजनेता का मन टटोला। उनका तर्क भी दमदार था। बोले- राजनेता ही बड़ा होता है। असल में सरकार बनी ही जनता के लिए है और जनता का दर्द राजनेता से ज्यादा कौन समझ सकता है। वह जनता में से उठ कर आता है, जनता के बीच ही रहता है और जनता के प्रति ही जवाबदेह होता है। आप ही सोचिये,
हो भले ही रेलवे ट्रेक के कर्मचारी की वजह से ट्रेन एक्सीडेंट, मगर छुट्टी तो रेल मंत्री पर इस्तीफे का दबाव बनता है। इतना ही नहीं नेेता को हर पांच साल बाद जनता के सामने परीक्षा देने जाना पड़ता है। विपक्षी तो कपड़े फाड़ता ही है, खुद की पार्टी का भी टांग खींचने में लगा रहता है। जनता भी ऐसी है कि कब और किस वजह से फेल कर दे और कब पास, कुछ पता नहीं होता। दूसरी ओर अधिकारी केवल किताबों को रट कर या फिर टीप-टाप कर एक बार परीक्षा पास कर लेता है और ले-दे कर ऊंचे ओहदे पर पहुंच जाता है। फिर ताजिंदगी एसी चेंबर में ऐश करता है। न तो जनता के पास जाने का झंझंट और न ही जनता से मिलने-मिलाने की परेशानी। दरबान ही नहीं घुसने देता। जनता उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। हद से हद उसका तबादला कर दो। जहां जाएगा, गाड़ी, बंगला, चपरासी, सब कुछ मिलेगा। अब आप ही बताइये, जिसका ज्यादा समर्पण और ज्यादा जवाबदेही है, वही तो ज्यादा जिम्मेदार हुआ।
शुक्रवार, 30 अगस्त 2024
अगर बच्चा बुहारी लगाए तो मेहमान आता है?
बुधवार, 27 मार्च 2024
लोकप्रिय नेता कौन?
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तेजवानी गिरधर अंतर्ध्यान शब्द के मायने है, अदृश्य होना। इसका उल्लेख आपने शास्त्रों, पुराणों आदि में सुना होगा। अनेक देवी-देवताओं, महामा...