शुक्रवार, 5 जून 2020

कोरोना संकट के बावजूद है अजमेर में औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं

कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के चलते अजमेर में उद्योगों की कमर ही टूट गई है। न केवल वे आर्थिक संकट से घिर गए हैं, अपितु आगे भी उनके फिर से रफ्तार पकडऩे को लेकर आशंकाएं व्याप्त हैं। अजमेर वैसे भी औद्यागिक विकास की दृष्टि से अन्य बड़े शहरों की तुलना में पिछड़ा हुआ है। उसकी मूल वजह है पानी की कमी और राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव। हालांकि जब यहां से मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व उप मुख्यमंत्री श्री सचिन पायलट जीत कर केन्द्र में राज्य मंत्री बने और उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर यहां बहबूदी के प्रयास किए, मगर अगले ही चुनाव में वे मोदी लहर की वजह से हार गए। पिछले लोकसभा चुनाव में भीलवाड़ा के प्रमुख उद्योगपति रिजू झुंनझुनवाला कांग्रेस के बैनर से मैदान में आए तो उन्होंने यहां औद्यागिक विकास करवाने का वादा किया, मगर दुर्योग से वे हार गए। यद्यपि वे अब भी क्षेत्र में सक्रिय हैं, इस कारण उम्मीद जगती है कि वे अगला चुनाव भी यहीं से लडऩे का मानस रखते हैं। यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है कि आगे अजमेर को कैसा राजनीतिक नेतृत्व प्राप्त होता है, मगर पानी की कमी अब भी ऐसा कारण है, जो यह विचारने को मजबूर करता है कि औद्योगिक क्षेत्र में कौन से नवाचार किए जा सकते हैं।
इस संबंध में तकरीबन दस साल पहले प्रकाशित पुस्तक अजमेर एट ए ग्लांस में लघु उद्योग संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री आर. एस. चोयल का एक लेख छपा था। हालांकि उन्होंने उस लेख में जो सुझाव दिए थे, उस दिशा में कुछ काम हुआ है, फिर भी वह आज के दौर में वह प्रासंगिक नजर आता है। अतएव वह लेख हूबहू प्रस्तुत है।
-तेजवानी गिरधर, 7742067000

आर. एस. चोयल
प्राचीन नगरीय सभ्यता का अगर हम अध्ययन करें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि जिस भी सभ्यता ने उद्योग-धन्धों पर समुचित ध्यान दिया, उसी ने इतिहास में जगह बनाई। इसकी मूल वजह ये है कि जिस भी शहर की अर्थ व्यवस्था सुदृढ़ है और जहां आर्थिक गतिविधियां पर्याप्त मात्रा में होती हैं, उसका त्वरित विकास होता ही है। भारत के इतिहास पर नजर डालें तो ईस्ट इंडिया कम्पनी के आगमन से ही भारतीय उद्योग-धन्धों की स्थिति बदली। विशेष रूप से अजमेर के संदर्भ में यह बात सौ फीसदी खरी उतरी है। उद्योग धन्धों के महत्व को दर्शाता वह समय हर भारतवासी को याद रहेगा, खासकर अजमेर वासियों को, क्योंकि ईस्ट इंडिया कम्पनी का अजमेर से विशेष लगाव रहा। अजमेर के रेल कारखाने उसी समय की देन हैं, जो लंबे समय से अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं।
आज जब भी अजमेर में उद्योग के स्थापना की बात होती है तो कई कारण गिना कर उस वार्ता को वहीं समाप्त कर दिया जाता है कि यहां उद्योगों के पनपने की संभावना नहीं है। अजमेर में उद्योगों की आधार शिला कहे जाने वाले रेल कारखानों को स्थापित करने समय शायद अंग्रेजों ने ऐसा नहीं सोचा होगा। अजमेर में औद्योगिक विकास की समस्याओं पर हर कोई अपना वक्तव्य देता हुआ मिल जायेगा, लेकिन मेरा मानना है कि समस्या के विश्लेषण से ज्यादा समाधान पर विचार हो और उसे क्रियान्यवित किया जाये। यहां के उद्योग जगत से विगत 20 साल से मेरे जुड़़ाव और प्रतिनिधित्व से प्राप्त अनुभव का मैं यह निचोड़ निकालता हूं कि अजमेर में उद्योग जगत के परिदृश्य पर छा जाने की सभी संभवानाएं मौजूद हैं। अगर हम इसका विश्लेषण समस्या दर समस्या करें तो मैं यह कहना चाहता हूं कि माना पानी उद्योग की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है और अजमेर में पानी की कमी है, लेकिन अजमेर में उद्योगों को देखा जाए तो यहां इंजीनिरिंग, खनिज, कास्टिंग, खाद्य पदार्थ आदि से सम्बन्धित उद्योग की बहुलता है और इन उद्योगों को केवल पीने के पानी की आवश्यकता होती है, न कि इण्डस्ट्रियल पानी की। अर्थातï् इन उद्योग को पनपने के लिए इच्छा शक्ति की आवश्यकता रह जाती है।
यह भी कहा जाता है कि अजमेर पहाड़ों से घिरा हुआ है, इस कारण यहां औद्योगिक विकास करना कठिन है। मेरा मानना है कि इस धारणा को यहां की इसी भौगोलिक स्थिति की सीमितता को तोड़ते हुए किशनगढ़ में मार्बल मंडी विकसित हो गई है। पहाड़ी भौगोलिक स्थिति के चलते खनिजों के दोहन की विपुल संभावना भी यहां हैं। अगर हम उच्च इच्छाशक्ति वाले व्यक्ति हैं, तो अजमेर में उद्योग को नए आयाम देने हेतु स्वयं, किसी संस्था, प्रशासन और राजनीति के स्तर पर लयबद्ध, क्रमबद्ध प्रयास करें तो हर सपने को पूरा किया जा सकता है। मैं यह मानता हूं कि निम्नांकित क्षेत्रों में हमें कार्य करने की आवश्यकता है:-
1. इंजीनियर हब की स्थापना:- चूंकि यहां इंजीनियरिंग उद्योगों की बहुलता है। साथ ही इन उद्योगों को ज्यादा पानी, बिजली व जगह की आवश्यकता नहीं होती है, अत: अजमेर में इंजीनियरिंग हब बनाया जाए, जिनमें अति लघु, लघु्र व मध्यम स्तर के उद्योगों को पनपाने की व्यवस्था की जाए।
2. सिरेमिक जोन:- हमारे के लिए यह गौरव की बात है कि अजमेर देश के सिरेमिक क्षेत्र के उद्योग को कच्चे माल की आपूर्ति बड़े पैमाने पर करता है। कच्चे माल की यहां बहुलता है। जरूरत है तो केवल उद्योग के लिए आवश्यक ऊर्जा स्रोत की। चूंकि सरेमिक फरनेस बेस उद्योग है और इन फरनेस को चलाने के लिए बिजली या गैस की आवश्यकता होती है। अजमेर के मध्य से होकर गुजर रही गैस लाइन पर एक डिस्ट्रीब्यूटर सेंटर खोलकर उद्योग की मांग पूरी की जाए तो सिरेमिक उद्योग का परिदृश्य ही बदल जायेगा।
3. एक्सपोर्ट जोन:- अजमेर से इंजीनियरिंग उत्पाद, फ्लोर मिल व उनके एमरी स्टोन, वायर बनाने की मशीनें, स्टोर प्रोसेसिंग मशीनें, खनिज, मार्बल, गुलाब, गुलकंद, सोहन हलवा आदि बहुलता में अन्य देशों को निर्यात किये जाते हैं। निर्यात को बढ़ावा देने हेतु सुविधा सम्पन्न एक्सपोर्ट ओरियेन्टेड क्षेत्र बनाये जाएं। यहां पर बिक्री, उत्पाद व आयकर संबंधी छूट दे कर उद्योगपतियों को आकृर्षित किया जाए। इससे स्वाभाविक रूप से निर्यात में वृद्धि होगी और प्रतिफल में हम आर्थिक रूप से और अधिक संपन्न होंगे।
4. फ्रूट प्रोसेसिंग सेज जोन:-अजमरे के आचार, मुरब्बे, गुलकंद व सोहन हलवा उद्योगों एवं आटा मिलों को बढ़ावा देने हेतु विशेष क्षेत्र की स्थापना की जाए, जिसमें कुटीर उद्योग व लघु उद्योग की स्थापना की जाए और उनके उत्पादों की विपणन व विक्रय की व्यवस्था हेतु क्लस्टर विकसित किया जाए।
5. एकल खिड़की योजना :- राजस्थान की ओद्यौगिक नीति 2010 में एकल खिड़की योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु राज्य सरकार की इच्छा शक्ति को अगर क्रियान्वित किया जाए तो अजमेर में एक पायलेट प्रोजेक्ट बनाया जा सकता है। इसके लिए एक ऐसा मुख्यालय बनाया जाए, जहां रीको, राजस्थान वित्त निगम, उद्योग विभाग, सांख्यिकी विभाग, नियोजन विभाग, रोजगार कार्यालय, श्रम विभाग, भविष्य निधि विभाग, कारखाना एवं बायलर विभाग, विद्युत विभाग, ई.एस.आई. का प्रतिनिधित्व हो। इसी मुख्यालय में 'उद्योग मित्रÓ नाम से कुछ जनप्रतिनिधि, अतिवक्ता, चार्टेड एकाउन्टेन्ट आदि को अधिकृत कर उद्योग की स्थापना में आने वाली समस्याओं के निवारण हेतु ठोस कदम उठाए जा सकता हैं।
6. ब्रेन ड्रेन:- अजमेर शुरू से शिक्षा को केन्द्र रहा है। अजमेर मेयो कॉलेज, राजकीय महाविद्यालय, सोफिया कॉलेज आदि ने शिक्षा, उद्योग, प्रशासन, विज्ञान के क्षेत्र में कई नामी व्यक्ति दिये हैं, परन्तु अब अजमेर के युवा अन्य महानगरों की तरफप्रस्थान कर रहे हैं। अजमेर की बौद्धिक सम्पदा को हम काम में ही नहीं ले रहे, जिसके चलते ब्रेन ड्रेन हो रहा है। अगर हम हमारे युवाओं को अजमेर में बने रहने के लिये आकृर्षित कर सकें तो यह हमारी एक बड़ी उपलब्धि होगी। इस हेतु हम औद्योगिक सहायता एवं परामर्श केन्द्र के माध्यम से विभिन्न स्तरों पर कार्यशाला एवं सेमीनार का आयोजन और अजमेर के उद्योग पर आधारित पुस्तिकाओं का प्रकाशन कर युवाओं को विपुल संभावनाओं से अवगत करा सकते हैं।
7. पर्यटन उद्योग:- अजमेर में स्थित ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह तथा तीर्थराज पुष्कर सरोवर व ब्रह्मा मंदिर के अतिरिक्त सुरम्य व विशाल आनासागर झील, खूबसूरत सोनी जी की नसियां, ऐतिहासिक दादा बाड़ी, नारेली स्थित ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र, सरवाड़ की दरगाह, मांगलियावास का कल्पवृक्ष, पृथ्वीराज स्मारक आदि को आधार बना कर पर्यटन उद्योग विकसित किया जा सकता है। इस क्षेत्र में भी काफी संभावनाएं नजर आती हैं।
विश्व के कई देशों में भ्रमण से मैंने अनुभव किया है कि भौगोलिक, राजनीतिक, प्रशासनिक व सांस्कृतिक परिस्थितियां भले ही पक्ष में न हों, परन्तु वहां के वाशिंदे अपने दृढ़ विश्वास व कर्मशीलता के चलते अपने नगर या देश में अपार संभावनाएं खोज ही लेते हैं। आशा है हम अजमेर वासी भी यही भावना रख कर यहां औद्योगिक विकास के नए आयाम स्थापित कर सकते हैं।

-आर. एस. चोयल
श्यामा, 38, आदर्शनगर, अजमेर
फोन : 0145-2782228, 2782231, फैक्स: 0145-2782501

(लेखक श्री विश्वकर्मा एमरी स्टोन इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं)

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