मंगलवार, 5 नवंबर 2024

शरीर के सर्वांग विकास के लिए षट् रस जरूरी

भारतीय भोजन की विशेषता यह है कि इसमें विभिन्न रसों का समावेश होता है, जिन्हें मिलाकर संपूर्ण भोजन तैयार किया जाता है। भारतीय खाने में शट् रस का महत्व बहुत अधिक है। शट् रस अर्थात् छह प्रकार के स्वाद होते हैं, मधुर (मीठा), अम्ल (खट्टा), लवण (नमकीन), कटु (तीखा), तिक्त (कड़वा) और कषाय (कसैला)। इन सभी रसों के संतुलित संयोजन से भोजन न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि शरीर को भी सभी प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं।

यूं तो अनेक समुदायों व समाजों में शट्रस युक्त भोजन का चलन है, मगर गुजराती थाली व जैन थाली की विषेश चर्चा होती है।

गुजराती थाली में सभी रसों का अद्भुत समावेश होता है। यह थाली बहुत ही विविधतापूर्ण होती है, जिसमें आमतौर पर दाल, कढ़ी, सब्जियां, रोटली (रोटी), भात (चावल) और मीठा होता है। गुजराती खाने में मिठास का विशेष महत्व होता है, इसलिए कई व्यंजन हल्की मिठास लिए होते हैं। साथ ही, इसमें तली हुई चीजें, जैसे फाफड़ा, ढोकला, पापड़ भी शामिल होते हैं, जो अन्य रसों का संतुलन बनाए रखते हैं। खट्टे और मीठे का बेहतरीन मिश्रण गुजराती भोजन को अनोखा बनाता है।

जैन थाली में भी शट् रस का संतुलन देखने को मिलता है, लेकिन इसकी खासियत यह है कि इसमें प्याज, लहसुन और किसी भी प्रकार की जड़ वाली सब्जियों का प्रयोग नहीं होता है। यह थाली सादगी और शुद्धता के लिए प्रसिद्ध है, फिर भी स्वाद से भरपूर होती है। जैन भोजन में सादा और हल्का खाना होता है, जिसमें अनाज, सब्जियाँ, और दालों का संयोजन होता है।

दोनों थालियों में शट् रस का महत्व बहुत अधिक होता है और ये भोजन का एक ऐसा रूप प्रस्तुत करती हैं, जिसमें न केवल स्वाद का ध्यान रखा जाता है, बल्कि सेहत का भी।

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