क्या ऐसा कभी हुआ है कि राक्षसों ने मिल कर भगवान से प्रार्थना की हो कि उन्हें देवताओं से बचाया जाए। सदैव देवता ही राक्षसों के हाथों परेशान हो कर भगवान की शरण लेते हैं। धर्म ग्रथों में जितने भी प्रसंग व कथाएं हैं, उनमें यही दर्शाया गया है कि राक्षस अपनी शक्ति के दम पर देवताओं, ऋषियों-मुनियों को परेशान करते हैं और वे त्राहि माम, त्राहि माम कहते हुए भगवान के पास गुहार लगाते हैं। तब भगवान अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए राक्षसों का नाश करते हैं। यानि कि राक्षस देवताओं की अपेक्षाकृत अधिक शक्तिवान होते हैं। सवाल ये उठता है कि जब भगवान सदैव आखिर में सत्य की ही जीत करवाते हैं, तो देवताओं को ही इतना शक्ति संपन्न क्यों नहीं कर देते कि वे राक्षसों का मुकाबला कर सकें और बार-बार उनको भगवान की शरण में न आना पड़े।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बिच्छू ने डंक मारा, मगर जहर का असर नहीं हुआ
दोस्तो, नमस्कार। किसी को बिच्छु काटे और उस पर उसके जहर का असर न पडे। क्या ऐसा संभव है? बिलकुल संभव है। मैं स्वयं इस अनुभव से गुजरा हूं। हुआ ...

-
भारतीय संस्कृति में सभी कार्य शुभ मुहूर्त में ही करने की परंपरा है। ऐसा कार्य की सफलता के लिए किया जाता है। इसके प्रति लोगों में गहरी आस्था ...
-
एक कहावत आपने सुनी होगी- अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है। वो इसलिए कि वह खुद को अपनी गली का राजा मानता है। किसी भी अन्य कुत्ते, सूअर, ...
-
तेजवानी गिरधर अंतर्ध्यान शब्द के मायने है, अदृश्य होना। इसका उल्लेख आपने शास्त्रों, पुराणों आदि में सुना होगा। अनेक देवी-देवताओं, महामा...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें