क्या ऐसा कभी हुआ है कि राक्षसों ने मिल कर भगवान से प्रार्थना की हो कि उन्हें देवताओं से बचाया जाए। सदैव देवता ही राक्षसों के हाथों परेशान हो कर भगवान की शरण लेते हैं। धर्म ग्रथों में जितने भी प्रसंग व कथाएं हैं, उनमें यही दर्शाया गया है कि राक्षस अपनी शक्ति के दम पर देवताओं, ऋषियों-मुनियों को परेशान करते हैं और वे त्राहि माम, त्राहि माम कहते हुए भगवान के पास गुहार लगाते हैं। तब भगवान अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए राक्षसों का नाश करते हैं। यानि कि राक्षस देवताओं की अपेक्षाकृत अधिक शक्तिवान होते हैं। सवाल ये उठता है कि जब भगवान सदैव आखिर में सत्य की ही जीत करवाते हैं, तो देवताओं को ही इतना शक्ति संपन्न क्यों नहीं कर देते कि वे राक्षसों का मुकाबला कर सकें और बार-बार उनको भगवान की शरण में न आना पड़े।
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