गुरुवार, 2 जुलाई 2020

चौक में तवा उलटा रखने से बंद हो जाती है बारिश?

मानसून ने दस्तक दे दी है, हालांकि रिमझिम का दौर अभी शुरू नहीं हुआ है। उम्मीद है, जल्द ही झमाझम बारिश होने लगेगी। मौसम विभाग तो सेटेलाइट के माध्यम से पता लगाता है कि कहां कितनी बारिश होने की संभावना है और वह ज्यादा बारिश होने की चेतावनी भी देता रहता है, मगर पुराने जमाने में जब विज्ञान उन्नत अवस्था में नहीं था, तब प्रकृति के अनेक संकेतों से बारिश का अनुमान लगाया करते थे। इन संकेतों ने मान्यताओं व कहावतों को जन्म दिया। मौसम व खेती के बारे में भड्डरी व घाघ कवि की कहावतें बहुत चलन में हैं।
आइये, कुछ कहावतों पर नजर डालते हैं:-
एक कहावत है कि शुक्रवार की बादली शनिचर छाय। ऐसा बोल भडुरी बिन बरसे नहीं जाय। अर्थात शुक्रवार के दिन होने वाले बादल आकाश में शनिवार तक ठहर जाएं तो वर्षा अवश्य होगी।
नक्षत्र भी बारिश के बारे में संकेत दिया करते हैं। जैसे अगस्त्य नामक तारे का उदय हो तो मान लीजिए कि बारिश समाप्त होने वाली है। कहावत है- अगस्त ऊगा, मेह पूगा। इसी कड़ी में कहावत है कि जे मंडे तो धार न खंडे, अर्थात यदि बारिश फिर भी हो जाए तो मान कर चलिए कि बारिश जम कर होगी, थमेगी ही नहीं।
अकाल पडऩे के बारे में नक्षत्र संकेत देते हैं, वो यह कि अक्षय तृतीया पर रोहणी नक्षत्र न हो, रक्षाबंधन पर श्रवण नक्षत्र न हो और पौष की पूर्णिमा पर मूल नक्षत्र न हो तो अनावृष्टि की आशंका होती है। इसको लेकर कहावत है- अक्खा रोहण बायरी, राखी सरबन न होय। पो ही मूल न होय तो, म्ही डूलंती जोय।
इसी प्रकार - अषाढ़ सुदी हो नवमी, ना बादल ना वीज। हल फारो इंधन करो, बैठो चाबो बिज। अर्थात आषाढ़ शुक्ल पक्ष नवमी को आकाश में बादल-बिजली कुछ नहीं हो तो वर्षा बिलकुल नहीं होगी और सूखा पड़ेगा।
यदि भादो सुदी छठ को अनुराधा नक्षत्र पड़े तो ऊबड़-खाबड़ जमीन में भी उस दिन अन्न बो देने से बहुत पैदावार होती है। इसकी कहावत है- भादों की छठ चांदनी, जो अनुराधा होय। ऊबड़ खाबड़ बोय दे, अन्न घनेरा होय।।
यदि गिरगिट पेड़ पर उल्टा होकर अर्थात पूंछ ऊपर की ओर करके चढ़े तो समझना चाहिए कि इतनी वर्षा होगी कि पृथ्वी पानी में डूब जाएगी। इसकी कहावत है - उलटे गिरगिट ऊँचे चढै। बरखा होइ भूइं जल बुडै।।
एक कहावत तो बहुत प्रचलित है, वो यह कि चिडिय़ा धूल में लोटपोट हो कर नहाए तो माना जाता है कि बारिश आने वाली है।
एक कहावत है- अम्मर पीळो, मेह सीळो। इसका अर्थ है यदि आसमान में पीलिमा दिखाई दे तो समझो कि बारिश धीमी पडऩे वाली है। इसी से जुड़ी एक कहावत है- अम्मर रातो, मेह मातो, यानि कि अगर आसमान में लालिमा हो तो समझिये बारिश जोरदार पडऩे वाली है। इसी क्रम में कहते हैं- अम्मर हरियो, चूव टपरियो। अर्थात आसमान में हरीतिमा दिखाई दे तो वह सामान्य बारिश होने का संकेत है।
ऐसी मान्यता है कि यदि तीतर के पंख बादल जैसे रंग के हो जाएं तो पक्का जानिये कि बारिश होगी ही, जिसमें कोई संदेह नहीं है। इसकी कहावत है:- तीतर पंखी बादळी, विधवा काजळ रेख, बा बरसै बा घर करै, ई में मीन न मेख। इसी कहावत में यह भी बताया गया है कि यदि विधवा की आंख में काजल नजर आए तो इसका मतलब है कि वह फिर घर बसाएगी।
यदि रात में विचरण करते वक्त ऊंटनी को आलस्य आए या वह ऊंघने लगे तो इसका मतलब है कि बारिश की उम्मीद है। एक कहावत है कि अत तरणावै तीतरी, लक्खारी कुरलेह। सारस डूंगर भमै, जदअत जोरे मेह। इसका अर्थ है कि तीतरी जोर से आवाज करे, लक्कारी कुरलाए, सारस ऊंचे स्थान का चयन करे तो तेज बारिश आ सकती है।
इसी प्रकार कहते हैं कि बारिश के मौसम में लोमड़ी ऊंचे स्थान पर खड्डा खोद कर अपना विश्राम स्थल बनाए और उछल-कूद करे तो समझिये अच्छी बारिश होगी। इसकी कहावत है- धुर बरसालै लूंकड़ी, ऊंची घुरी खिणन्त। भेळी होय ज खेल करै, तो जलधर अति बरसन्त।
ऊंटनी भी बारिश का संकेत जमीन पर पैर पटक कर, एक स्थान पर न टिक कर और बैठने से आनाकानी करके यह संकेत देती है कि बारिश जरूर आएगी। इसकी कहावत है- आगम सूझे सांढणी, दौड़े थळा अपार। पग पटकै बैसे नहीं, जद मेह आवणहार।
कुछ इसी प्रकार विक्रम संवत के महीने भी संकेत देते हैं। मावां पोवां धोधूंकार, फागण मास उड़ावै छार। चैत मॉस बीज ह्लकोवै, भर बैसाखां केसू धोवै। अर्थात माघ और पोष माह में कोहरा पड़े, फाल्गुन माह में धूल उड़े और चैत्र माह में बिजली न दिखाई दे तो बैशाख में वर्षा होगी।
ये तो हुई कम और ज्यादा बारिश की कहावतें। एक कहावत ऐसी है जो बारिश को रोकने के टोटके के रूप में काम में ली जाती है। कैसी दिलचस्प बात है कि अगर बारिश थम न रही हो तो चौक में तवे को उलटा करके रख देने से बारिश धीमी पड़ जाती है या थम जाती है। जी हां, ऐसी मान्यता है। इसमें कितनी सच्चाई है, कुछ कहा नहीं जा सकता।


संकलन:-
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

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