वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के लिए लागू लॉक डाउन के चलते पूरे देश की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई है, मगर विशेष रूप अजमेर जिले की माली हालत पूरी तरह से चौपट हो गई है। हालांकि लॉक डाउन में शनै: शनै: शिथिलता के बाद जनजीवन धीरे धीरे पटरी पर आता नजर आता है, मगर व्यापार जगत इतना अधिक त्रस्त है कि आने वाले कई और दिन तक उसे राहत मिलती नजर नहीं आ रही। स्थिति की भयावहता का अंदाजा इस कारण नहीं हो पा रहा कि भय और अवसाद के कारण जमीन हकीकत दफ्न पड़ी है।
यूं तो आर्थिक लिहाज से अजमेर जिले की स्थिति अन्य जिलों जैसी ही है, मगर चूंकि अजमेर जिले का अर्थ चक्र विशेष रूप से पर्यटन पर टिका हुआ है, इस कारण यहां के हालात और अधिक गंभीर हैं। सर्वविदित है कि अजमेर जिले में दो बड़े तीर्थ स्थल दरगाह ख्वाजा साहब व तीर्थराज पुष्कर हैं, जहां सामान्य दिनों में जायरीन व तीर्थयात्रियों की नियमित आवक रहती है, वह शून्य हो गई है। नतीजन सारे होटल बंद पड़े हैं। कई होटलों के कर्मचारी काम के अभाव में हटा दिए गए हैं, जो बेरोजगार हो चुके हैं। रेस्टोरेंट खोलने की अनुमति तो मिल गई है, मगर गई तरह की पाबंदियों के कारण ग्राहक आ ही नहीं रहे। कदाचित बाहर का खाना खाने से लोग परहेज कर रहे हैं। रेस्टोरेंट्स के आधे से अधिक कर्मचारियों की छुट्टी हो गई, इस कारण वे बेरोजगार हो गए हैं। दरगाह के आसपास खाने-पीने की दुकानों का व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। हालत ये है कि सामान्य दुकानों को खोलने की तो अनुमति मिल चुकी है, मगर दरगाह बाजार व नला बाजार के दुकानदार खोलने की स्थिति में ही नहीं हैं। वस्तुत: यहां प्रतिदिन हजारों जायरीन की आवक के चलते अधिसंख्य दुकानों में जायरीन की जरूरतों का ही सामान बिका करता है। जब जायरीन ही नहीं आ रहे तो, इन दुकानों को खोलने का प्रयोजन ही समाप्त हो गया है। कई दुकानें बड़ी मासिक किराये पर चलती थीं, उन्हें किराएदार खाली कर रहे हैं, चूंकि इन्कम तो पूरी तरह से बंद हो गई है। सबसे बड़ा संकट दरगाह से जुड़े खुद्दाम हजरात पर है। तकरीबन तीन माह से जायरीन की आवक समाप्त होने के कारण उनको मिलने वाला नजराना बंद हो गया है। अगर जायरीन के लिए दरगाह खोलने की अनुमति मिल भी गई तो सोशल डिस्टेंसिंग के तहत जियारत करने की पाबंदी चलते जायरीन की आवक कम ही रहेगी। यानि कि हालात सामान्य होने में बहुत समय लेगगा। पिछले दिनों जब धर्मस्थलों को खोलने के सिलसिले में जिला प्रशासन ने बैठक की तो दरगाह से जुड़े जिम्मेदार पदाधिकारियों ने स्वीकार किया कि जायरीन के लिए दरगाह के बंद होने के चलते इस इलाके के तकरीबन बीस हजार परिवारों की आजीविका बुरी तरह से प्रभावित हुई है। स्वाभाविक सी बात है कि जब जायरीन आ ही नहीं रहा तो ऑटो रिक्शा के व्यवसाय पर बहुत बुरा असर पड़ा है।
बात अगर दरगाह के अतिरिक्त करें तो पूरे शहर का व्यापार मंदा पड़ा है। आम आदमी की भुगतान क्षमता कम हो जाने के कारण खरीददारी हो ही नहीं रही। आदमी केवल दैनिक जरूरत का सामान ही खरीद पा रहा है। मुख्य मार्गों पर चहल-पहल तो बढ़ी है, मगर अधिकतर लोग कोराना के भय की वजह से घरों से कम ही बाहर निकल रहे हैं।
औद्योगिक रूप अजमेर वैसे भी पिछड़ा हुआ था। प्रवासी मजदूरों के अपने-अपने निवास स्थान को प्रस्थान करने के कारण छोटी-मोटी औद्योगिक इकाइयां श्रम समस्या से जूझ रही हैं।
कमोबेश तीर्थराज पुष्कर की हालत भी यही है। ब्रह्मा मंदिर सहित अन्य सभी मंदिर बंद होने व पवित्र सरोवर में नहाने के लिए लगी पाबंदियों के चलते तीर्थयात्री आ ही नहीं रहे। पूजा की एवज में मिलने वाली दक्षिणा बंद होने से सारे तीर्थ पुरोहितों की आजीविका ठप हो गई है। तीर्थयात्रियों के अभाव में मार्केट की मंदा हो गया है। होटल व रेस्टोरेंट व्यवसाय जमीन पर आ गया है।
किशनगढ़ की विश्व प्रसिद्ध मार्बल मंडी की हालत देख कर सिहरन सी होती है। यह मंडी ही मदनगंज-किशनगढ़ का आर्थिक पहिया चलाती है, मगर ग्राहकी कम होने के कारण हालात बहुत खराब हैं। होटल व्यवसाय भी यहां की आर्थिक धूरि है, वह भी चौपट पड़ा है।
कुल मिला कर अजमेर जिला अत्यंत दयनीय स्थिति में आ गया है। सरकारी कर्मचारियों को अलबत्ता बहुत फर्क नहीं पड़ा है, मगर गैर सरकारी वर्ग यथा मजदूर, छोटे व बड़े दुकानदारों की पीड़ा कितनी गहरी है, इसका अंदाजा हालात को भुगत रहे लोग ही समझ सकते हैं। जिले भर का प्रॉपर्टी व्यवसाय सिसक रहा है। निर्माण कायों की गति बहुत धीमी हो गई है, क्योंकि स्थानीय मजदूर महंगा पड़ता है। स्थानीय बेरोजगारी तो बढ़ी ही है, देशभर में अन्य स्थानों पर काम करने वाले लॉक डाउन खुलने के बाद अपने घरों को लौटने के कारण बेरोजगार बैठे हैं। गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले लोग व निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों को लॉक डाउन के दौरान दानदाताओं के सेवाभाव व सरकारी राहत के चलते जैसे-तैसे जी लिए, अब धीरे-धीरे वे उठ पा रहे हैं, चूंकि कि उनक जरूरतें सीमित हैं, लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार आर्थिक संकट के कारण गहरे अवसाद में हैं। सबसे बड़ी समस्या ये है कि मगर कोराना महामारी अभी कितने दिन चलेगी व कितना विकराल रूप लेगी, इसका अंदाजा ही नहीं है, ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि हालात कब सामान्य होंगे।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com
यूं तो आर्थिक लिहाज से अजमेर जिले की स्थिति अन्य जिलों जैसी ही है, मगर चूंकि अजमेर जिले का अर्थ चक्र विशेष रूप से पर्यटन पर टिका हुआ है, इस कारण यहां के हालात और अधिक गंभीर हैं। सर्वविदित है कि अजमेर जिले में दो बड़े तीर्थ स्थल दरगाह ख्वाजा साहब व तीर्थराज पुष्कर हैं, जहां सामान्य दिनों में जायरीन व तीर्थयात्रियों की नियमित आवक रहती है, वह शून्य हो गई है। नतीजन सारे होटल बंद पड़े हैं। कई होटलों के कर्मचारी काम के अभाव में हटा दिए गए हैं, जो बेरोजगार हो चुके हैं। रेस्टोरेंट खोलने की अनुमति तो मिल गई है, मगर गई तरह की पाबंदियों के कारण ग्राहक आ ही नहीं रहे। कदाचित बाहर का खाना खाने से लोग परहेज कर रहे हैं। रेस्टोरेंट्स के आधे से अधिक कर्मचारियों की छुट्टी हो गई, इस कारण वे बेरोजगार हो गए हैं। दरगाह के आसपास खाने-पीने की दुकानों का व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। हालत ये है कि सामान्य दुकानों को खोलने की तो अनुमति मिल चुकी है, मगर दरगाह बाजार व नला बाजार के दुकानदार खोलने की स्थिति में ही नहीं हैं। वस्तुत: यहां प्रतिदिन हजारों जायरीन की आवक के चलते अधिसंख्य दुकानों में जायरीन की जरूरतों का ही सामान बिका करता है। जब जायरीन ही नहीं आ रहे तो, इन दुकानों को खोलने का प्रयोजन ही समाप्त हो गया है। कई दुकानें बड़ी मासिक किराये पर चलती थीं, उन्हें किराएदार खाली कर रहे हैं, चूंकि इन्कम तो पूरी तरह से बंद हो गई है। सबसे बड़ा संकट दरगाह से जुड़े खुद्दाम हजरात पर है। तकरीबन तीन माह से जायरीन की आवक समाप्त होने के कारण उनको मिलने वाला नजराना बंद हो गया है। अगर जायरीन के लिए दरगाह खोलने की अनुमति मिल भी गई तो सोशल डिस्टेंसिंग के तहत जियारत करने की पाबंदी चलते जायरीन की आवक कम ही रहेगी। यानि कि हालात सामान्य होने में बहुत समय लेगगा। पिछले दिनों जब धर्मस्थलों को खोलने के सिलसिले में जिला प्रशासन ने बैठक की तो दरगाह से जुड़े जिम्मेदार पदाधिकारियों ने स्वीकार किया कि जायरीन के लिए दरगाह के बंद होने के चलते इस इलाके के तकरीबन बीस हजार परिवारों की आजीविका बुरी तरह से प्रभावित हुई है। स्वाभाविक सी बात है कि जब जायरीन आ ही नहीं रहा तो ऑटो रिक्शा के व्यवसाय पर बहुत बुरा असर पड़ा है।
बात अगर दरगाह के अतिरिक्त करें तो पूरे शहर का व्यापार मंदा पड़ा है। आम आदमी की भुगतान क्षमता कम हो जाने के कारण खरीददारी हो ही नहीं रही। आदमी केवल दैनिक जरूरत का सामान ही खरीद पा रहा है। मुख्य मार्गों पर चहल-पहल तो बढ़ी है, मगर अधिकतर लोग कोराना के भय की वजह से घरों से कम ही बाहर निकल रहे हैं।
औद्योगिक रूप अजमेर वैसे भी पिछड़ा हुआ था। प्रवासी मजदूरों के अपने-अपने निवास स्थान को प्रस्थान करने के कारण छोटी-मोटी औद्योगिक इकाइयां श्रम समस्या से जूझ रही हैं।
कमोबेश तीर्थराज पुष्कर की हालत भी यही है। ब्रह्मा मंदिर सहित अन्य सभी मंदिर बंद होने व पवित्र सरोवर में नहाने के लिए लगी पाबंदियों के चलते तीर्थयात्री आ ही नहीं रहे। पूजा की एवज में मिलने वाली दक्षिणा बंद होने से सारे तीर्थ पुरोहितों की आजीविका ठप हो गई है। तीर्थयात्रियों के अभाव में मार्केट की मंदा हो गया है। होटल व रेस्टोरेंट व्यवसाय जमीन पर आ गया है।
किशनगढ़ की विश्व प्रसिद्ध मार्बल मंडी की हालत देख कर सिहरन सी होती है। यह मंडी ही मदनगंज-किशनगढ़ का आर्थिक पहिया चलाती है, मगर ग्राहकी कम होने के कारण हालात बहुत खराब हैं। होटल व्यवसाय भी यहां की आर्थिक धूरि है, वह भी चौपट पड़ा है।
कुल मिला कर अजमेर जिला अत्यंत दयनीय स्थिति में आ गया है। सरकारी कर्मचारियों को अलबत्ता बहुत फर्क नहीं पड़ा है, मगर गैर सरकारी वर्ग यथा मजदूर, छोटे व बड़े दुकानदारों की पीड़ा कितनी गहरी है, इसका अंदाजा हालात को भुगत रहे लोग ही समझ सकते हैं। जिले भर का प्रॉपर्टी व्यवसाय सिसक रहा है। निर्माण कायों की गति बहुत धीमी हो गई है, क्योंकि स्थानीय मजदूर महंगा पड़ता है। स्थानीय बेरोजगारी तो बढ़ी ही है, देशभर में अन्य स्थानों पर काम करने वाले लॉक डाउन खुलने के बाद अपने घरों को लौटने के कारण बेरोजगार बैठे हैं। गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले लोग व निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों को लॉक डाउन के दौरान दानदाताओं के सेवाभाव व सरकारी राहत के चलते जैसे-तैसे जी लिए, अब धीरे-धीरे वे उठ पा रहे हैं, चूंकि कि उनक जरूरतें सीमित हैं, लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार आर्थिक संकट के कारण गहरे अवसाद में हैं। सबसे बड़ी समस्या ये है कि मगर कोराना महामारी अभी कितने दिन चलेगी व कितना विकराल रूप लेगी, इसका अंदाजा ही नहीं है, ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि हालात कब सामान्य होंगे।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com
बहुत अच्छा और सच्चा लीखते है
जवाब देंहटाएंnizamuddin khan
Dargah Sharif Ko Kholna Cahiye Jab Takriban Sab Khul Gaya To Dargah Sharif Kyu Nahi Khol Rahe Hai ,Dargah Sharif Ke Tamaam Darwazo Pr Police Security Hai To Unhe Hi Thermal Screening Karke Entry Di Jani Cahiye Rahi Baat Sochal Distance Ki To Woh Har Insaan Ka Farz Hai Ki Wo Govt Ki Gaid Line Ki Palna Kare, Kyuki Dargah Sharif Se Hi 20000 Pariwaro Ki Rozi Roti Judi Hui Hai Gov't Ne Jald Hi Kuch Nirnay Nahi Liya To Nuksaan Bahot Ziyada Hoga Logo Ki Jaan Ka Uska Zimedar Kon Hoga .
जवाब देंहटाएंChishty Ajmeri
Sir. ..main khadim huzur gharib Nawaz r.a. meri rai ye h ke dargah Sharif .pushkar m brhma ji ka mandir ab khul jaana cahiye kyu ki abhi khulega to dheere dheere social distancing ki palna hogi aane jaane ka ek ruteen banega ..jaisa ki ye suna h ke sab ke liye ek saath khulenge dharmik sthal to ye sambhav nahi h ek dum public ko control nahi kar sakte h.pehle dargah Sharif khuddamo ke liye Brahma mandir pujario ke liye khulna cahiye jisse ke ek ruteen banega aur dheere dheere system maintain hoga .. thanks.. Syed Mohammad mujahid dargah Sharif
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