बुधवार, 30 सितंबर 2020

लड़की को एक से अधिक लड़कों के साथ दोस्ती रखने का अधिकार!


लड़के-लड़कियों के बीच संबंधों में कितना नाटकीय बदलाव आने लगा है, इसका अहसास हाल ही एक प्रेंक वीडियो यूट्यूबर के एक शूट में देखने को मिला। उसे उचित अथवा अनुचित ठहराना मूर्खता ही कहलाएगी,  क्योंकि वक्त बदल गया है।

होता ये है कि एक गार्डन में एक लड़का-लड़की आपस में झगड़ रहे होते हैं। यूट्यूबर को क्यों कि रोजाना नया स्पॉट चाहिए होता है, इस कारण वे गार्डन में घात लगा कर बैठे होते हैं। जैसे ही एक यूट्यूबर ने देखा कि लड़के-लड़की के बीच में वाद-विवाद हो रहा है, वह फटे में टांग फंसाने पहुंच जाती है। वह विवाद का कारण पूछती है। इस पर लड़की बताती है कि लड़का उसके रिलेशनशिप में है और परेशान कर रहा है। बार-बार फोन करके मिलने को कहता है। उसे शक है कि वह अन्य लड़कों के भी संपर्क में है। उसके शक करने वाले ऐसे प्रेमी से अब रिश्ता तोडऩा है। वह यहां तक कह डालती है कि हां, उसके सौ लड़कों से संबंध हैं, मगर वह केवल फ्रेंडशिप है और उनसे बात जरूर करूंगी। चाहे प्यार छूट जाए। यदि उसके प्यार को साथ रहना है तो उसे उस पर यकीन करना ही होगा। यूट्यूबर एक महान नारी उद्धारक की तरह प्रवचन देती हुई लड़की का पक्ष लेती है। लड़का उसे बीच में न पडऩे को कहता है तो वह कहती है कि ये मेरी बहन के समान है। वह लड़के को धमकाते हुए कहती है कि यदि लड़की अब रिश्ता नहीं रखना चाहती तो तू क्यों जबरदस्ती पीछे पड़ा हुआ है। तू छोड कर चला जा। मानो, रिश्ता लाइट के बटन की तरह हो, जिसे जब चाहे ऑन किया जाए और जब मर्जी हो ऑफ कर दिया जाए। वह तर्क देती है कि ये तो अपने सभी फ्रेंड्स से बात करेगी, उसमें क्या ऐतराज है? तुम भी तो अन्य कई लड़कियों से बात करते होंगे। लड़की को भी अधिकार है कि वह अपने बहुत सारे पुरुष मित्र रखे और उनसे बात करे। आखिरकार लड़का कोई चारा नहीं देख कर चला जाता है।

इस प्रसंग ने मुझे इस विषय पर लिखने को मजबूर किया। बेशक आज के स्वछंद वातावरण में, जिसे मैं उत्छृंखलता कहता हूं, हर एक लड़के को अनेक लड़कियों से दोस्ती करने अधिकार मिला हुआ है। ठीक इसी तरह लड़कियां भी इस होड़ में अनेक लड़कों से दोस्ती करने का अधिकार जमाती हैं। सवाल ये है कि यदि लड़की बहुत सारे दोस्त रखती है तो उसे प्यार के संबंध वाले की भावना को ताक पर रख देना चाहिए? यदि लड़के को लड़की के अन्य बहुत सारे दोस्तों से बात करने पर ऐतराज है, तो क्या लड़की को केवल अनेक दोस्त रखने के अधिकार की रक्षा के नाते उससे प्यार का संबध तोड़ देना चाहिए? यदि वाकई प्यार है, जो कि मेरी नजर में दुनिया में है ही नहीं, क्या उसे अपने प्रेमी के शक को दूर करने का प्रयास नहीं करना चाहिए? क्य विश्वास कायम रखने की कोशिश नहीं करनी चाहिए? कैसी विडंबना है कि एक समय में प्रेमी-प्रेमिका प्यार की खातिर दुनिया को छोड़ देते थे और आज ऐसा दौर आया है कि दुनिया की खातिर प्यार को ही तिलांजलि दी जा रही है। 

जहां तक मेरी समझ है, पहले होता ये था कि पुरुष एक से अधिक संबंध रखता था तो भी औरत को पता नहीं लग पाता था। असल में वह बाहर निकलती ही नहीं थी, तो पता लगता कैसे? वह एकनिष्ठ ही बनी रहती थी। कुछ हमारी पुरुषवादी संस्कृति ने पति को परमात्मा मान कर चलना सिखाया, इस कारण भी वह उसके अलावा किसी के बारे में सोचने में भी पाप समझती थी। अब जमाना बदल गया है। महंगाई इतनी अधिक है कि अकेले पुरुष के कमाने से काम नहीं चलता। महिला को भी दहलीज से बाहर कदम रखना पड़ा है। जाहिर तौर पर वह बहुत से पुरुषों के संपर्क में आती है। पुरुष भी अपने स्वभाव के कारण कहीं भी लाइन मारने को उत्सुक रहता है। वह येन-केन-प्रकारेण सहकर्मी अथवा संपर्क में आई अन्य महिलाओं को प्रभावित करने की कोशिश करता है, जिसे कि अंग्रेजी में फ्लर्ट करते हैं। पुराने संस्कारों से प्रभावित महिला तो इग्रोर कर देती है, मगर नए युग के संस्कारों से प्रभावित महिला पुरुष की मनोवृत्ति को जानते हुए भी दुनियादारी के नाते पुरुषों से व्यवहार निभाती है। एक जमाना था, जब पुरुष मित्र अथवा महिला मित्र शब्द होते ही नहीं थे। इन शब्दों को पाप माना जाता था। यदि मित्रता थी भी तो उसे भाई-बहिन के शब्दों से संबोधित कर छिपाया जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। पुरुष के एक से अधिक महिलाओं के साथ फ्रेंडशिप को तो सामान्य माना ही जाता है, महिला के भी एक से ज्यादा पुरुष मित्र हों तो कोई ऐतराज नहीं करता। महिलाएं इतनी खुले दिमाग की हो गई हैं कि वे बड़ी आसानी से किसी पुरुष को अपना मित्र, अच्छा मित्र, खास मित्र इत्यादि बताने में जरा भी नहीं हिचकती। तुर्रा ये कि केवल मित्र हैं, उससे ज्यादा नहीं, जबकि उससे ज्यादा का रास्ता यहीं से हो कर गुजरता है।

बहरहाल, एक से अधिक महिलाओं के साथ दोस्ती रखने वाले पुरुष को यह बर्दाश्त नहीं होता कि उसके रिलेशन वाली महिला अन्य पुरुषों के संपर्क में नहीं हो। प्रेंक वीडियो वाले पुरुष की भी वही स्थिति है। यह स्थिति उसके रिलेशनशिप वाली महिला को नागवार गुजरती है। उसे अन्य पुरुषों से भी व्यवहार रखने की आजादी चाहिए, कदाचित पुरुष की होड़ में। वह अब  रिलेशनशिप वाले पुरुष को पहले से कम समय ही दे पाती है। इसी कारण विवाद शुरू होता है, जो अंतत: कट ऑफ की स्थिति में आ जाता है। अफसोसनाक है कि महिला दुनिया से संबंधों को रखने के चक्कर में प्यार को भी लात मारने को उतारू हो जाती है। रही सही कसर तथाकथित नारी स्वातंत्र्य की झंडाबरदार महिला के अधिकारों की दुहाई देते हुए महिला के कदम को उचित करार दे कर और हवा देती है।

-तेजवानी गिरधर

7742067000

tejwanig@gmail.com

4 टिप्‍पणियां:

  1. सामयिक एवं मंथनीय विषय पर लेखन के लिए साधुवाद 🙏

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  2. सामयिक एवं मंथनीय विषय पर लेखन के लिए साधुवाद 🙏

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  3. ज्ञंीपद उनसपचसम तमसंजपवदेीपचे उंप पदेमबनतपजल जव दंीप बीीनचप ीनप
    बहुत अच्छा आलेख।
    कहते हैं ना कि प्रेम गली अति सांकरी।
    जब किसी से सच्चा प्रेम होता भावनात्मक भी तो उसके अतिरिक्त ना कोई जंचता ना इच्छा होती, संबंध रखने की। वो परिपूर्ण होता।
    किन्तु शायद अब ऐसा प्रेम अनुपलब्ध है।
    कहीं मल्टिपल रिलेशनशिप में इन्सिक्यूरिटी तो नहीं छुपी है
    महिमा श्रीवास्तव

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