सोमवार, 14 सितंबर 2020

रहस्यमय गुफा सीसाखान


अजमेर में एक ऐसी रहस्यमय गुफा है, जिसके बारे में कोई प्रमाणिक तथ्य ऐतिहासिक पुस्तकों में मौजूद नहीं हैं, मगर कई दिलचस्प किंवदंतियां प्रचलन में है। इस ऐतिहासिक गुफा की सच्चाई जानने के लिए आजादी के बाद भी कोई अधिकृत प्रयास नहीं किए गए, इस कारण गुफा के रहस्य से आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है। इस गुफा का नाम है सीसा खान। यह नाम सुपरिचित है, मगर आज एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं, जिसने गुफा के भीतर जा कर देखा हो कि आखिर माजरा क्या है? आइये, जानते हैं कि इस गुफा के बारे में क्या-क्या धारणाएं किस्से के रूप में मौजूद हैं। डिग्गी बाजार चौक और ठठेरा चौक के बीच रेगरे मोहल्ले के द्वार में घुसने के बाद आगे चल कर एक गुफा है। नाम से अनुमान लगाया जाता है कि किसी जमाने में यहां सीसे की खान रही होगी। बताते हैं कि यह गुफा का रहस्य जानने के लिए आज तक जो भी अंदर गया, वह लौट नहीं पाया। असल में गुफा में आगे जाना व भीतर जा कर देखना संभव ही नहीं, क्योंकि अंदर बहुत अधिक नमी है। यहां तक कि टॉर्च, मोमबत्ती या मशाल बुझ जाती है। नमी का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि गुफा के मुहाने पर गर्मी के मौसम में भी ठंडी हवा चलती है। घुप्प अंधेरे के अतिरिक्त भीतर कई तरह के जहरीले जीव-जंतु हैं, इस कारण कोई भी हिम्मत नहीं जुटा पाता। बताते हैं कि इस गुफा का एक सिरा तारागढ़ से जुड़ा है और दूसरा शहर से बाहर कहीं जगल में। कुछ कहते हैं कि इस प्रकार की सुरंगों की एक शृंखला थी, जो आगरा व दिल्ली तक गुप्त रूप से जाने के काम आती थी। कदाचित इनका उपयोग आक्रमण के समय बच कर निकलने के लिए किया जाता हो। ये भी मान्यता है कि इस सीसा खान गुफा का उपयोग सम्राट पृथ्वीराज चौहान तृतीय इष्ट देवी चामुंडा माता के मंदिर में जाने के लिए किया करते थे। किंवदंती है कि गुफा के अंदर सात कुएं हैं, जो कि डिग्गी तालाब से जुड़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त भीतर की बनावट ऐसी है कि भीतर जाने वाला घनचक्कर हो जाए। शायद इसी कारण जिन लोगों ने कोशिश की हो, उन्हें बाहर निकलने का रास्ता ही न मिला हो और जान गंवा बैठे हों। अजमेर में गुफाकृति के मुख वाली दो और सुरंगे भी बताई जाती हैं, जो कि आनासागर के किनारे बारहदरी के पास व बाबूगढ़ में बताई जाती है। 

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 -तेजवानी गिरधर 
7742067000 
tejwanig@gmail.com

1 टिप्पणी:

  1. ऐसी नायाब चीज़ को यूं लावारिस छोड़ देना भी सरकार और पुरातत्व विभाग के लिये कलंक जैसा है।
    कचरे का ढेर लोगों की लापरवाही तो दिखती है साथ मे सफाई कर्मचारियों की भी।
    ऐसी जगह को थोड़ा बहुत खर्च कर बाहर से सुंदर और अंदर से साफ रखा जा सकता है जिससे आगे अट्रैक्शन बढेगा।
    कुछ दूरी तक टूरिस्टों और आने वाले लोगों को सावधानी पूर्वक ले जाकर दिखाया जाये तो आमदनी भी बढ़ेगी और रख रखाव भी सही रहेगा।
    Approch भी सही होनी चाहिए, टूरिस्ट आएंगे तो आस पास वाले दुकानदारों, टैक्सियों आदि की इनकम भी बढ़ेगी।
    बहुत से काम हो सकते हैं,खोज बीन से शायद आगे चलकर ये एक ओर आश्चर्य में शामिल हो जाये।
    किशन प्रियानी

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