हाल ही प्रदेश के जाने-माने पत्रकार श्री श्याम सुंदर शर्मा का निधन हो गया। मूलत: बीकानेर निवासी श्री शर्मा ने बीकानेर में तो लंबे समय तक पत्रकारिता की ही, दैनिक भास्कर के जयपुर संस्करण में काफी समय तक काम किया। वे अलवर संस्करण के स्थानीय संपादक भी रहे।
संपादक शब्द के सीधे-सीधे मायने हैं, जो संपादन करता है। सारे संपादक यही करते हैं, लेकिन संपादन की बारीक पराकाष्ठा के दर्शन मैंने उनमें किए। हालांकि वे मुझ से बहुत अधिक सीनियर नहीं थे, मगर जब मेरा तबादला जयपुर हुआ तो मुझे उनके साथ राजस्थान पेज पर काम करने का सौभाग्य मिला। जब तक मैं अजमेर में रहा, मुझे भ्रम था कि संपादन में मैं पूर्णत: पारंगत हूं, मगर जयपुर में श्री शर्मा के साथ काम करने से अहसास हुआ कि संपादन के बारे में मैं जितना जानता हूं, उससे भी कहीं ज्यादा सीखना बाकी है। वस्तुत: संपादन में संक्षिप्तिकरण की विधा मैंने उनसे सीखी। किसी खबर को कितना कम से कम शब्दों में लिखा जा सकता है कि उसका कंटेंट भी प्रभावित न हो, मैंने यह उनसे जाना।
असल में होता ये था कि राजस्थान पेज पर संपादक की ओर से जितनी खबरें असाइन की जाती थीं, उन्हें लगाना संभव ही नहीं था, चूंकि विज्ञापन भी पर्याप्त मात्रा में हुआ करते थे। दिलचस्प बात ये है कि विज्ञापन युक्त पेज की डमी ऐन वक्त पर मिलती थी और सीमित समय में असाइन्ड खबरें उस पर लगानी होती थीं। स्वाभाविक रूप से खबरों का संक्षिप्तिकरण जरूरी हो जाता था, वह भी फटाफट। नियत समय पर एडीशन जारी करने के लिए बहुत ही तेज गति से सारी खबरें पूरी पढ़ कर उनको संक्षिप्त करना होता था। यदि खबरों को पूरा न पढ़ते तो संक्षिप्तिकरण के दौरान आवश्यक कंटेंट कट जाने का खतरा रहता था। खबर में से गैर जरूरी कंटेंट, अनावश्यक वाक्य व फालतू शब्द काटना वाकई कठिन, मगर दिलचस्प था। एक चुनौती सी थी। बेशक एक से एक बढ़ कर निष्णात संपादक हैं पत्रकार जगत में, मगर मैंने संक्षिप्तिकरण की विधा के जो दर्शन श्री शर्मा में किए, वह अन्य किसी में नजर नहीं आए। उन से मिल कर लगा कि अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है। मैने जल्द ही काम समझ लिया और उनकी ही इंचार्जशिप में स्वंतत्र रूप से करना आरंभ कर दिया। वे मुझ से बहुत प्रसन्न थे। स्थिति ये हो गई कि सारा का सारा काम मैं अकेले ही करने लगा गया। इस पर उन्होंने कहा कि आपने तो मुझे निठल्ला ही कर दिया है। जब मैने भास्कर से इस्तीफा दिया, तो उनकी प्रतिक्रिया ये थी कि आपने तो मुझे आलसी बना दिया, मेरी आदत खराब कर दी, आपके जाने के बाद अब मुझे फिर से लग कर काम करना पड़ेगा। यह मेरे लिए बहुत सुखद कॉम्प्लीमेंट था। कुछ इसी प्रकार का कॉम्प्लीमेंट एक बार दैनिक न्याय के भूतपूर्व प्रधान संपादक स्वर्गीय श्री विश्वदेह शर्मा ने भी दिया कि तुम इतना डूब कर काम करते हो कि तुम्हारा सीनियर निठल्ला हो जाता है।
खैर, हालांकि श्याम जी के साथ मैने कोई ज्यादा समय तक काम नहीं किया, क्योंकि बीच में सिटी के पेजों पर भी लगया गया, मगर उनके साथ रह कर जो कुछ नया सीखा, वह बहुत सुखद रहा। खबर में संक्षिप्तिकरण की बारीक विधा, जो मैंने उनसे सीखी, उसका ऋण कभी नहीं चुका पाऊंगा। अब तो वे इस फानी दुनिया में भी नहीं रहे। यदि उस विधा को नए पत्रकारों को सिखाने का कभी मौका मिला तो समझूंगा कि वह ऋण मैंने चुका दिया है। कभी अवसर मिला तो किसी अखबार की कोई खबर उठा कर उसे संक्षिप्त करने का डेमो जरूर प्रस्तुत करूंगा।
यह तो हुई संपादन की बात। अब जरा उनके व्यक्तित्व के बारे में। वे सुसंस्कृत ब्राह्मण परिवार से थे। अत्यंत सहज, सरल, मिलनसार, कोमल हृदय, विद्वान और मर्यादित। इतने सारे गुण एक साथ किसी व्यक्ति में होना नामुमकिन नहीं तो मुश्किल जरूर हैं। ऐसे पारंगत संपादक व चुंबकीय व्यक्तित्व को मेरा प्रणाम, अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।
बीकानेर से प्रकाशित थार एक्सप्रेस में उनके बारे जानकारी छपी है, साझा किए देता हूं।
बीकानेर के वरिष्ठ पत्रकार श्याम शर्मा का कोरोना से जयपुर में निधन हो गया। उनकी पुत्री ने बताया कि वे पिछले कुछ दिन से कोरोना से पीडि़त थे और जयपुर के अस्पताल में भर्ती थे। पिछले कुछ महीनों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यालय में कार्यरत थे। बीकानेर में दोनों बड़े समाचार पत्रों की शुरुआत के समय साथ थे। चार दशक पूर्व राजस्थान पत्रिका से अपना कैरियर प्रारम्भ करके श्याम शर्मा तीन वर्ष पूर्व ही दैनिक भास्कर से रिटायर होकर बीकानेर आ गए थे। बीकानेर आने के बाद पुन: पंजाब केसरी से जुड़ गए थे। कुछ माह बाद ही मुख्यमंत्री के कार्यालय में जनसंपर्क का कार्य शुरू किया था। उन्होंने पत्रकारिता में रहते हुए राजस्थान पत्रिका, पंजाब केसरी, दैनिक नवज्योति, दैनिक भास्कर व बीकानेर से प्रकाशित एक सांध्य दैनिक में काम किया था। बीकानेर में जार के अध्यक्ष पद पर रह कर पत्रकारों को एकजुट करने का प्रयास किया। पिछले वर्ष में जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) को पुनस्र्थापित करने में बड़ा योगदान रहा। श्याम शर्मा ने पिछले साल संपन्न बीकानेर प्रेस क्लब के चुनाव में भी महत्ती भूमिका निभाई थी।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com
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