मृत्यु का पूर्वाभास होने की अनेक घटनाएं आपने सुनी होंगी। कुछ पूर्ण सत्य हो सकती हैं तो कुछ आंशिक सत्य। कोई ऐसी घटनाओं को मात्र संयोग मानते हैं तो कोई वास्तविक। मुंडे मुंडे मतिर्भिन्ना।
हाल ही मेरी माताश्री का देहावसान हो गया। उन्होंने पिछले दिनों जिस तरह के संकेत दिए, वे ऐसा आभास देते हैं कि मृत्यु का पूर्वाभास होता है। उन्होंने पिछले कुछ माह के दौरान अपने पास जो भी जमा राशि थी, वह सब अपनी औलादों व उनके बेटे-बेटियों को बांट दी। कदाचित उन्हें पूर्वाभास था कि चंद माह में उनका निधन हो जाएगा, इसलिए जीते-जी जमा राशि बांट दी जाए। मृत्यु से तीन दिन पहले उन्होंने एक सपने का जिक्र किया था। वो यह कि उन्होंने सपने में देखा है कि मेरे पिताश्री ने स्नेहपूर्वक उनके कंधे पर हाथ रखा। इस पर उन्होंने उन्हें टोका कि यह क्या कर रहे हो, सामने ही बेटा खड़ा है। पिताश्री ने कहा कि कोई बात नहीं। उन्होंने बताया कि आज भले ही पति-पत्नि आपस में चिपक कर खड़े हो जाते हैं, पति-पत्नि एक दूसरे के कंधे पर हाथ रख कर फोटो खिंचवाते हैं और उसे फेसबुक तक पर सार्वजनिक कर देते हैं, मगर पुराने समय में ऐसा कत्तई नहीं किया जाता था। न तो ऐसी मुद्रा में अपनी संतान के सामने खड़े होते थे और न ही माता-पिता के सामने।
खैर, उन्होंने सपने में दिखाई दिए जिस प्रसंग का जिक्र किया, वह इस बात का संकेत था कि जल्द ही वे प्रस्थान करने वाली हैं। इस प्रकार का हवाला शास्त्रों में भी आया है कि यदि आपका कोई बहुत निकट संबंधी सपने में आपके बिलकुल करीब आ जाए तो उसका अर्थ ये होता है कि देह त्यागने और उसके साथ जाने का समय आ गया है। मुझे नहीं पता कि उन्होंने सपने का जिक्र इस तथ्य को जानते हुए किया अथवा सहज भाव से, मगर शास्त्रानुसार उन्होंने इशारा कर दिया था कि अब वे छोड़ कर जाने वाली हैं। वैसे वे पहले भी कई बार पिताश्री के सपने में आने का जिक्र करती रहीं। कई बार कहा कि पिताश्री को अमुक चीज खाने की इच्छा है। हम उनकी सपने की बात सुन कर वह चीज बना कर कन्या अथवा गाय को खिला दिया करते थे। पिताश्री उन्हें परिवार में कोई शुभ कार्य होने की भी पूर्व सूचना दिया करते थे।
एक और महत्वपूर्ण बात। वे मृत्यु से एक दिन पूर्व पूर्ण स्वस्थ थीं। खुद का सारा काम खुद ही किया। रात में उनक तबियत कुछ खराब हुई। तकरीबन साढ़े तीन बजे उन्होंने भूख लगने की बात कही। मैंने उन्हें उनकी पसंदीदा खिचड़ी व दही खाने को दी। उन्होंने बाकायदा पालथी मार कर थाली में चम्मच से उसे पूरा खाया। उसके बाद दो-तीन बार पानी भी मांगा। सुबह तबियत ज्यादा खराब होने पर उन्हें अस्पताल ले गए, जहां ऑक्सीजन लेवल कम होने के कारण उनका निधन हो गया। इसका जिक्र मैने अपने मित्र वरिष्ठ पत्रकार श्री सुरेश कासलीवाल से किया तो उन्होंने कहा कि आपको उनके खाना मांगने पर ही समझ जाना चाहिए था। इस सिलसिले में उन्होंने अपने पिताश्री व अन्य के अनेक प्रसंगों का जिक्र किया। इस बारे में अन्य जानकारों से पूछा तो उन्होंने भी यह बताया कि शुद्धत्माएं खाली पेट देह नहीं छोड़तीं। अर्थात तृप्त हो कर ही प्रस्थान करती हैं।
बहरहाल, इन चंद घटनाओं से मुझे ये आभास होता है कि मृत्यु से पूर्व उसका आभास होता है, किसी को कम, किसी को ज्यादा।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com
bahut hi sanvedansheel baat likhi hai ..bhai sahab
जवाब देंहटाएंthank u ji
हटाएंYah Sahi baat hai meri man ke a gujarne ke bad Papa Ji ko bhi aisa hi Swapn dikhai Diya ki man unhen Lene aayi hai aur do din bad hi appa ji ka devlok Gaman ho gaya tha
जवाब देंहटाएंji
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