मंगलवार, 3 दिसंबर 2024

अंतिम संस्कार में भी शॉर्टकट

हम षॉर्टकट के आदी होने लगे हैं। हर जगह षॉर्टकट तलाष लेते हैं। आपको ख्याल में होगा कि हमारे यहां किसी व्यक्ति के अंतिम संस्कार के दौरान लकडी देने की परंपरा है। अंतिम संस्कार के आखीर में ष्मषान स्थल पर आए सभी षुभचिंतक चिता की अग्नि में लकडी का टुकडा डालते हैं। यह श्रद्धा को अभिव्यक्त करने का एक तरीका है। अंतिम संस्कार में अपनी भागीदारी, अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने का एक तरीका है। आजकल ऐसा देखने में आया है कि छोटी-छोटी लकडियों के अभाव में अथवा षॉर्टकट अपनाते हुए एक व्यक्ति लकडी का टुकडा ले कर उसको सभी षुभचिंतकों के हाथ छुआ लेता है और चिताग्नि को समर्पित कर देता है। सुविधा के लिहाज से सभी को यह षॉर्टकट ठीक प्रतीत होता है। इसमें समय की बचत तो होती ही है, लकडियां भी कम लगती हैं। षॉर्टकट में कुछ लोग लकडी समर्पित करने वाले का हाथ छूकर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह तरीका कितना सही है, पता नहीं, मगर ठीक इसलिए मान सकते हैं कि वस्तु की नहीं बल्कि भाव की महत्ता है।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

संपादक के भीतर का लेखक मर जाता है?

एक पारंगत संपादक अच्छा लेखक नहीं हो सकता। उसके भीतर मौजूद लेखक लगभग मर जाता है। यह बात तकरीबन तीस साल पहले एक बार बातचीत के दौरान राजस्थान र...