शनिवार, 28 दिसंबर 2024

यह नर्क, पृथ्वी कोई और है?

महान युग पुरूश गुरू नानक साहब संसार की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि नानक दुखिया सब संसार। अर्थात दुनिया में सभी दुखी हैं। सुखी कोई भी नहीं। गरीब तो दुखी है है, अमीर भी दुखी है। अमीर के पास चाहे कितनी सुख सुविधा हो, मगर वह भी दुखी है। साधन संपन्न भी भांति भांति के दुखों से घिरा हुआ है। उसे भी किसी न किसी प्रकार की तकलीफ है। गुरु नानक जी ने इस सत्य को समझाया कि लोग अपने जीवन में सुख और शांति पाने की कोशिश करते हैं, लेकिन सांसारिक मोह, इच्छाओं और अहंकार के कारण वे दुखों से घिर जाते हैं। हमें भी दिखाई देता है कि चहुं ओर कितनी पीडा, तकलीफ, परेषानी और कश्ट भोग रहे हैं लोग। अन्य दार्षनिक भी इस दुनिया को दुखमय मानते हैं और दुख से निवृत्ति के उपाय बताते हैं। यानि कि एक अर्थ में यह संसार ही नर्क है। कहा भी जाता है न कि यह धरती भोग भूमि है। यहां आदमी कर्मानुसार भोग भोगने आता है। ऐसे में ख्याल आता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि जिस भोग भूमि को हम पृथ्वी कहते हैं, वह असल में नर्क है, नर्क कहीं और नहीं है और पृथ्वी कोई और है। कदाचित आप इसे नकारात्मक चित्त की अभिव्यक्ति कह सकते हैं, मगर सच्चाई यही है कि जिसे हम सुख मानते हैं, वह अनित्य और क्षण भंगुर है।

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