रविवार, 16 मार्च 2025

इन्ट्यूषन या टेलीपैथी

इन दिनों कुछ घटनाएं चकित कर रही हैं। ऐसा अनुभव हो रहा है कि कोई ख्याल मन में आया, या विचार आया, या इन्ट्यूषन हुआ, वह घटित हो गया। ऐसी एकाधिक घटनाएं हो चुकी हैं। ठीक ठीक क्या है, जरा असमंजस में हूं। कभी लगता है कि जो विचार मन में चलता है, वह फलित हो रहा है, तो कभी लगता है कि कहीं वह इन्ट्यूषन तो नहीं, जिसका घटना से पहले आभास हो जाता है। जैसे कुछ दिन से ख्याल आ रहा था कि कोई पुराना मित्र, जो लंबे समय से संपर्क मे नहीं है, वह मिलने वाला है। मैने इसे मन की ख्वाहिष मात्र मान कर महत्व नहीं दिया। लेकिन जैसे एक पुराने मित्र ने अरसे बाद फोन किया तो मैं चकित रह गया। मैने उनसे पूछा आपको फोन करने का ख्याल कैसे आया, तो वे बोले उन्हें ऐसा ख्याल आ रहा था कि मुझ से बात करनी चाहिए, इसलिए फोन मिला दिया। अब यह टेलीपैथी है या कि पूर्वाभास। इससे भी अधिक रोचक बात सुनिये। स्वामी न्यूज पर फाल्गुन समारोह की प्लानिंग हो रही थी। मेरे मन में विचार था छुपा रूस्तम कॉलम में कांग्रेस नेता हेमंत भाटी का गाना दर्षकों को दिखाया जाए। मैने इसकी चर्चा स्वामी न्यूज के एमडी कंवलप्रकाष किषनानी से की। यह हम दोनों के बीच की ही बात थी। संयोग से जैसी प्लानिंग की थी, उसमें कुछ बाधाएं आ गईं और कार्यक्रम कर नहीं पाए। लेकिन मैं तब चकित रह गया कि हेमंत भाटी अजमेर नगर निगम के फागुन समारोह में गाना गा रहे हैं। लोग भी चकित थे। गजब हो गया। यह कैसे हुआ? क्या विचार हमारे यहां नहीं तो अन्यत्र फलित हो गया? क्या मेरे मन का विचार निगम के कार्यक्रम के आयोजकों के मन में संप्रेशित हो गया? ऐसी ही अनेक छोटी मोटी घटनाएं हो रही हैं, मेरी उन पर गहरी नजर है। 


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