कानूनी पेचीदगियों व लंबी न्यायिक प्रक्रिया से त्रस्त पूरा देश बलात्कार के आरोपियों के एनकाउंटर पर जिस प्रकार तालियां बजा रहा है, वह ये सवाल खड़ा करता है कि क्या न्यायालयों को बंद करके कानून की पालना व दंडाधिकार पुलिस को दे दिए जाने चाहिए? जब यह एनकाउंटर वास्तविक व उचित न्याय है तो अब तक दर्ज सारे बलात्कार प्रकरणों के दोषियों का भी एनकाउंटर होना चाहिए, अन्यथा उन सभी पीडि़ताओं के साथ अन्याय हो जाएगा? कैसी विडबंना है, हम गुस्से में इतने अंधे हो चुके हैं कि आम तौर जिस पुलिस को हम जालिम व भ्रष्ट मानते हैं, आज उसी की पूजा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर सवाल उठाए जा रहे है कि तो फिर राम रहीम, आशाराम, स्वामी चिन्मयानंद और सेंगर जैसे आरोपियों का भी एनकाउंटर क्यों नहीं किया जा रहा? इसमें कोई दोराय नहीं कि न्याय न मिलने और न्याय में हो रही देरी के चलते ही लोगों का न्यायपालिका से विश्वास उठता जा रहा है, पर यदि पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी पुलिस को इस तरह से एनकाउंटर करने की छूट मिल जाएगी तो इसकी क्या गारंटी है कि पुलिस इस माहौल का दुरुपयोग नहीं करेगी?
-तेजवानी गिरधर
सोशल मीडिया पर सवाल उठाए जा रहे है कि तो फिर राम रहीम, आशाराम, स्वामी चिन्मयानंद और सेंगर जैसे आरोपियों का भी एनकाउंटर क्यों नहीं किया जा रहा? इसमें कोई दोराय नहीं कि न्याय न मिलने और न्याय में हो रही देरी के चलते ही लोगों का न्यायपालिका से विश्वास उठता जा रहा है, पर यदि पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी पुलिस को इस तरह से एनकाउंटर करने की छूट मिल जाएगी तो इसकी क्या गारंटी है कि पुलिस इस माहौल का दुरुपयोग नहीं करेगी?
-तेजवानी गिरधर
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