शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

सत्यनारायण भगवान की मूल कथा कौन सी है?

हमारे यहां पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करने का प्रचलन है। किसी शुभारंभ के मौके पर भी यह कथा करवाई जाती है। इस कथा में पांच अध्याय होते हैं, जिनमें यह वर्णन होता है कि अमुक व्यक्ति ने कथा की तो उसे बहुुत फायदा हुआ और अमुक ने भूल से कथा नहीं की या कथा का अनादर किया तो उसका अनिष्ट हो गया। आज हम जो कथा कर रहे हैं, वह वाकई सत्यनाराण भगवान की कथा ही है, चूंकि उसमें भगवान की महिमा है, मगर सवाल ये उठता है कि पांचों अध्यायों में जिन लोगों ने कथा की वह आखिर कौन सी कथा थी? यह बिलकुल साफ है कि हम जो कथा कर रहे हैं, वह उन पांच अध्यायों में कथा करने वालों ने नहीं की थी। वह कथा कोई और ही है। वह कहां खो गई? यदि पांच अध्याय वाली कथा से हमें सुख-संपत्ति मिलती है तो मौलिक कथा का न जाने कितना लाभ होगा।
इस बारे में मैने अनेक विद्वानों व पंडितों से जानकारी चाही तो वे ये नहीं बता पाए कि वह कथा कौन सी थी।
जहां तक मुझे समझ में आता है, पांच अध्यायों में जिस कथा का उल्लेख है, वह मूलत: कोई कथा नहीं थी। वह व्रत करते हुए धार्मिक विधि विधान पूर्वक सत्यनारायण भगवान की पूजा-अर्चना व आरती थी। गलती से उसे कथा कह दिया गया है। वर्तमान में हम जिस कथा की पुस्तक का पूजा-अर्चना  के दौरान पाठ करते हैं, वह तो भिन्न-भिन्न प्रकरणों के पांच अध्यायों का संगलन मात्र है।

-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

2 टिप्‍पणियां:

  1. इस बारे में मैंने भी कई बार सोचा है। बचपन में हमारे यहां हर पूनम को कथा करने पंडित जी आते थे। उनसे भी पूछा लेकिन वह नहीं बता पायें। मेरे को ज्यादा ज्ञान नहीं है लेकिन इतना निवेदन कर सकता हूं कि जहां तक हो सके व्यक्ति को सचाई से कर्म करने चाहिए। यही सत्यनारायण की पूजा है और यही उसकी कथा है।
    शिव शंकर गोयल, नई दिल्ली

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  2. सत्य नारायण भगवान की पूजा तो लगभग हर सनातन धर्म के घरों में होती है, परंतु इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि ये किस बारे में है, इसमे ज्यादातर युवा सबसे अधिक ना जान ने वाले हैं

    जैसा कि मैं ये लिख रहा हूँ, परंतु मैं खुद भी इस पूजा के विषय में नहीं जानता.


    इस ब्लॉग में आपका kehna भी सही है, कि वाकई ये कथा में मिलावट है या पढ़ाने वाले मिलावटी हैं.

    क्षमा करना सर लिखने मे तंग हू, कहीं की बात कही ले जाता हु. जय सत्यनारायण भगवान की जय.

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