बताया जाता है कि सामुद्रिक शास्त्र में कहा गया है कि अगर आपको किसी अधिकारी या किसी ओर से भी कोई काम हो तो उसके बायीं ओर खड़े हो कर अपनी बात कहिये, वह आसानी से आपकी बात मान जाएगा। इसके पीछे तर्क ये दिया जाता है कि बायीं ओर हृदय होता है। हृदय अर्थात दिल, जो कि संवेदना का केन्द्र है। वाम अंग पर चंद्रमा का प्रभाव होता है। जब हम बायीं ओर खड़े हो कर उससे कोई मांग रखते हैं तो वह संवेदनापूर्वक हमारी बात मान जाता है। अर्थात दायीं ओर की तुलना में बायीं ओर खड़े होने पर काम सिद्ध होने की संभावना अधिक रहती है। इसलिए जब भी किसी अधिकारी के पास जाएं तो कोशिश करके उसके बायीं ओर खड़े होइये। मैने स्वयं इसे आजमाया है। मुझे तो यह तथ्य सही लगा। मैं गलत भी हो सकता हूं, अत: आप स्वयं आजमाइये। संभव है, हम इस तथ्य की बारीकी को न समझ पाएं, मगर बायीं ओर खडे होने में हर्ज ही क्या है? क्या पता तथ्य सही हो। अगर विद्वानों ने बताया है तो कोई तो राज होगा।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com
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लोक मानयताओं पर कुछेक कहावत/मुहावरे हैं, जिन्हें सिंधी में पहाका/के कहा जाता है। आपके आलेख में वर्णित मान्यता संबंधित एक कहावत/पहाका मैंने अपने दादा से सुना था। इस वक्त मुझे स्मरण नहीं हो रहा किंतु उसमें न केवल अधिकारी अपितु गाय, घोड़ा, राजा आदि के भी आगे-पीछे दाएं बाएं चलने की सीख दी गई है। संभव हो तो इस । विषय को विस्तार दीजिए और लोक विरासत को युवा पीढ़ी तक संप्रेषित कीजिए। फिलवक्त, अच्छी जानकारी साझा करने पर साधुवाद - 🙏 - ✍️ मोहन थानवी
जवाब देंहटाएंकोशिश करता हूं
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