शनिवार, 12 सितंबर 2020

क्या फ्रिज में आटे का लोया रखने पर उसे भूत खाने को आते हैं?


आजकल की व्यस्त जिंदगी में आमतौर पर गृहणियां आटे को गूंथ कर उसका लोया फ्रिज में रख देती हैं, ताकि जब खाने का वक्त हो तो उसे तुरंत निकाल कर गरम रोटी बनाई जा सके। यह आम बात है। इसको लेकर संस्कृति की दुहाई देते हुए सोशल मीडिया में यह जानकारी फैलाई रही है कि यह उचित नहीं है। वो इसलिए कि आटे का लोया पिंड का रूप ले लेता है, जिसे ग्रहण करने के लिए भूत-प्रेत आ जाते हैं और अनेक प्रकार के अनिष्ट कर देते हैं। 

शास्त्रों का हवाला देते हुए कहा जाता है कि आटे के ये पिंड भूतों-प्रेतों को निमंत्रण देते हैं। ये उन अतृप्त आत्माओं को आकर्षित करते हैं, जिनके पिंड दान नहीं किए गए हैं । इस आटे पर उनकी नकारात्मक ऊर्जा का वास हो जाता है। इस आटे को खाने से पूरे परिवार पर इसका असर पड़ता है। प्रसंगवश बता दें कि इस तथ्य को इस बात से जोड़ा जाता है कि हिंदुओं में पूर्वजों एवं मृत आत्माओं को संतुष्ट करने के लिए पिंड दान की विधि बताई गई है। पिंडदान के लिए आटे का लोया, जिसे पिंड कहते हैं, बनाया जाता है। 

इसी संदर्भ में कहा जाता है कि आटे का लोया गोल होता है, वही मृतात्माओं को आमंत्रित करता है। यदि उस पर कुछ अंकित कर दिया जाए तो प्रेतात्माएं उस ओर आकर्षित नहीं होतीं। इस कारण कई महिलाएं आटे का लोया बनाने के बाद उस पर अंगुलियों के निशान अंकित कर देती हैं। यह निशान इस बात का प्रतीक होता है कि रखा हुआ पिंड पूर्वजों के लिए नहीं, बल्कि आम इंसानों के लिए है। जानकारी में ऐसा भी है कि महिलाएं आटा गूंथने के बाद उस पर अगुलियों के निशान बना कर उसमें पानी भर देती हैं। कुछ देर ऐसा करके रख देने से रोटियां मुलायम बनती हैं।

सवाल ये है कि सच क्या है? क्या वाकई भूत-प्रेत की धारणा के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार है? या यूं ही प्रचलित मान्यता? 

जहां तक वैज्ञानिक तथ्य का सवाल है, ऐसा बताया जाता है कि आटा पानी के संपर्क में आने के बाद उसमें कई रासायनिक बदलाव आते हैं। ज्यादा समय तक रखने पर वे नुकसानदायक हो जाते हैं। अगर उसे फ्रिज में रख दिया जाए तो हानिकारक किरणों पर भी प्रभाव पड़ता है। उस आटे से बनी रोटी खाने से कई तरह की बीमारियां होने का खतरा रहता है।

दूसरी ओर जो लोग भूत-प्रेत का अस्तित्व ही नहीं मानते, वे उनके आकर्षित होने को सिरे से नकार देते हैं। जो भूत-प्रेत का अस्तित्व मानते भी हैं, तो उनका मानना है कि आटा गूंथ कर फ्रिज में रखने से भले ही बीमारी का खतरा हो, मगर उसका भूत-प्रेत के आकर्षण से कोई भी सम्बन्ध नहीं है। किसी भी भौतिक वस्तु का सेवन करने के लिए इन्द्रियों की आवश्यकता होती है। बिना इन्द्रियों के भौतिक वस्तुओं का सेवन नहीं किया जाता सकता। मृत्यु के बाद मनुष्य का सूक्ष्म शरीर, जिसे अक्सर भूत-प्रेत समझ लिया जाता है, केवल महसूस कर सकता है, भोग करने के लिए उसे इन्द्रियों की आवश्यकता होती है, जो कि उसके पास नहीं होतीं।

असल में दिक्कत ये है कि आटे के लोये को खाने के लिए भूत-प्रेतों के आने जैसे सवालों का सवाल है, उसका प्रचार करने वाले उसे शास्त्रोक्त तो बता देते हैं, मगर कभी जिक्र नहीं करते कि किस शास्त्र में ऐसा लिखा हुआ है। वे इस बात का भी जिक्र नहीं करते कि अमुक ऋषि ने इतने हजार लोगों पर प्रयोग करके यह तथ्य सिद्ध किया है। इसी कारण ऐसी बातें अंध विश्वास की श्रेणी में गिनी जाती हैं। बावजूद इसके भय के कारण कई उसे मान भी लेते हैं कि मानने में हर्ज ही क्या है? सच तो ये है कि कई लोग प्रचलित धार्मिक मान्यताओं से सहमत नहीं, मगर फिर भी उसकी पालना इसलिए कर देते हैं कि उससे नुकसान तो कुछ है नहीं। दिलचस्प बात ये है कि पिंड को खाने के लिए मृतात्माओं के आने वाली बात को जानते हुए भी अधिसंख्य महिलाएं व्यस्त जिंदगी में समय को बचाने के लिए अथवा आलस्य के कारण आटे का लोया बना कर फ्रिज में रखती हैं। 

हो सकता है कि भूत-प्रेत वाली बातें सच हों, मगर ऐसी बातें करने वालों को बाकायदा उस शास्त्र का हवाला देना चाहिए, अन्यथा लोग उसे अंध विश्वास ही करार देंगे। उनका मकसद भले ही संस्कृति को बचाना हो, मगर उनके बिना आधार के, केवल शास्त्र शब्द का हवाला देते हुए ऐसी बातें करने से उलटा संस्कृति का नुकसान ही होने वाला है। वे संस्कृति का बचाव नहीं, बल्कि उसका नुकसान कर रहे हैं।

-तेजवानी गिरधर

7742067000

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